अघोरी साधुओं की साधना को कई लोग विचित्र और अजीब मानते हैं, लेकिन यह उनकी मान्यताओं और तपस्या का हिस्सा है। वे समाज से अलग रहते हैं और अपने कर्मों से ईश्वर की खोज में जुटे रहते हैं।
वाराणसी / पूर्वांचल न्यूज़ प्रिंट : : अघोरी साधु भारतीय तांत्रिक और आध्यात्मिक परंपरा का हिस्सा हैं, जो शिव भगवान के अनुयायी होते हैं और श्मशान साधना के लिए प्रसिद्ध हैं। अघोर पंथ के अनुयायी इस विचार में विश्वास करते हैं कि हर चीज, चाहे वह कितनी भी अशुभ या अपवित्र क्यों न लगे, भगवान शिव का ही रूप है।
पहला अघोरी कौन था?
अघोर परंपरा का प्रथम और प्रमुख प्रेरणास्रोत भगवान शिव को माना जाता है। अघोर पंथ के अनुसार, भगवान शिव स्वयं पहले अघोरी थे, जिन्होंने सभी सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं से परे जाकर इस पंथ का प्रतिपादन किया।
ऐतिहासिक रूप से, एक महान संत कीनाराम को भी अघोर पंथ का संस्थापक और पहले मानव अघोरी के रूप में माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने 17वीं शताब्दी में इस परंपरा को पुनर्जीवित किया और उसे व्यापक रूप से प्रचारित किया।
इंसानों की अधजली मांस खाने का कारण
अघोरी साधु मानते हैं कि जीवन और मृत्यु के बीच कोई अंतर नहीं है। उनका उद्देश्य संसारिक मोह-माया से परे जाकर आत्मा और परमात्मा के बीच के संबंध को समझना है। अधजला मांस खाने का कारण आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक है |
द्वैत और भेदभाव का त्याग: अघोरी किसी भी चीज़ को पवित्र या अपवित्र नहीं मानते। अधजला मांस खाने से वे यह संदेश देते हैं कि सब कुछ भगवान का ही रूप है।
मृत्यु का सामना: श्मशान में रहना और अधजले शवों से संपर्क करना उन्हें मृत्यु के भय से मुक्त करता है। यह उनके आत्म-साक्षात्कार और आध्यात्मिक विकास का हिस्सा है।
तपस्या और साधना का भाग: समाज द्वारा अपवित्र मानी जाने वाली चीज़ों को स्वीकार करना उनकी साधना का अंग है, जिससे वे अपनी चेतना को संसारिक सीमाओं से परे ले जाते हैं।
सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण
अघोरी साधुओं की साधना को कई लोग विचित्र और अजीब मानते हैं, लेकिन यह उनकी मान्यताओं और तपस्या का हिस्सा है। वे समाज से अलग रहते हैं और अपने कर्मों से ईश्वर की खोज में जुटे रहते हैं। उनकी परंपरा भारतीय संस्कृति और तांत्रिक साधना का एक अनोखा पहलू है।
सबसे विश्वसनीय पूर्वांचल का हिंदी न्यूज़ वेबसाइट पूर्वांचल न्यूज़ प्रिंट | For more related stories,follow: News in Hindi -👉 Facebook 👉Twitter 👉 Instagram 👉 Teligram.👉Google News. 👉हमें गूगल में खोजने के लिए Google में purvanchalnewsprint.co.in लिख कर सर्च करें | पोर्टल की सदस्यता ग्रहण करने के लिए Membership Plan देखें .