तिलकुटा चौथ : संतान की दीर्घायु और जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने के लिए माताएं शुक्रवार को सकट चौथ पर निर्जला व्रत रखेंगी।
धर्म आस्था / पूर्वांचल न्यूज़ प्रिंट : संतान की दीर्घायु और जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करने के लिए माताएं शुक्रवार को सकट चौथ का निर्जला व्रत रखेंगी। सकट चौथ पर सौभाग्य योग और मघा नक्षत्र योग बन रहा है। सकट चौथ व्रत संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाता है।
यह व्रत माघ कृष्ण चतुर्थी को मनाया जाता है। इसे तिलकुटा चौथ भी कहा जाता है। स्वास्तिक ज्योतिष केंद्र के ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल का कहना है कि चतुर्थी तिथि शुक्रवार को सुबह 4:06 बजे शुरू होगी और 18 तारीख को सुबह 5:30 बजे समाप्त होगी। सकट चौथ पर सौभाग्य योग और मघा नक्षत्र योग बन रहा है। सकट चौथ व्रत संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। इस दिन संकट हरण गणपति गणेश की पूजा की जाती है।
जानिए क्या है पूजा की विधि
पूजा में दूर्वा, शमी पत्र, बेल पत्र, गुड़ और तिल के लड्डू चढ़ाए जाते हैं। इस दिन महिलाएं निर्जल व्रत रखती हैं। रात्रि में चंद्रोदय के समय तिल, गुड़ आदि से चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। तिल को भूनकर ब्राउन शुगर के साथ पीसा जाता है।
तिलकुट का पहाड़ बन जाता है। कुछ जगहों पर तिलकुट से बकरा भी बनाया जाता है। पूजा करने के बाद घर का कोई बच्चा तिलकुट बकरे की गर्दन काटता है। कथा सुनाई जाती है और फिर उसका प्रसाद सभी को वितरित किया जाता है। चंद्रदेव की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन चंद्रमा रात्रि 8:55 बजे उदय होगा।