अभिशप्त हवेली: एक प्रेम, हत्या और न्याय की डरावनी दास्तान, पढ़ें- Horror story

अभिशप्त हवेली: एक प्रेम, हत्या और न्याय की डरावनी दास्तान, पढ़ें- Horror story

बनारस से 50 किलोमीटर दूर, एक वीरान गाँव देवरिया में एक प्राचीन हवेली थी—"ठाकुर विला"। यह हवेली कभी अपनी भव्यता के लिए जानी जाती थी, लेकिन अब इसे "अभिशप्त हवेली" कहा जाता था। कहते हैं कि वहाँ हर अमावस्या की रात एक औरत की चीखें गूँजती थीं और कोई भी उस हवेली में रातभर टिक नहीं सकता था।

अभिशप्त हवेली: एक प्रेम, हत्या और न्याय की डरावनी दास्तान, पढ़ें- एक हॉरर कहानी
फोटो - सांकेतिक , स्रोत - Google  

भाग 1: एक प्रेम कहानी की शुरुआत
साल 1995 में, देवरिया गाँव के प्रभावशाली ठाकुर वीरेंद्र सिंह की बेटी श्रुति शहर से पढ़ाई पूरी करके लौटी थी। उसकी सुंदरता और बुद्धिमत्ता की चर्चा पूरे इलाके में थी। गाँव का ही एक नौजवान अजय, जो एक गरीब किसान का बेटा था, बचपन से ही श्रुति से प्रेम करता था।

श्रुति भी अजय को पसंद करने लगी थी, लेकिन ठाकुर वीरेंद्र सिंह को यह रिश्ता कभी मंजूर नहीं था। उन्होंने अपनी बेटी की शादी एक अमीर और निर्दयी ज़मींदार रघुवीर चौहान से तय कर दी।

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भाग 2: प्रेम की हत्या
श्रुति और अजय ने भागकर शादी करने की योजना बनाई। लेकिन उनकी किस्मत ने साथ नहीं दिया। रघुवीर को इस बारे में भनक लग गई।

अमावस्या की रात, जब अजय और श्रुति हवेली से भागने की कोशिश कर रहे थे, तभी ठाकुर वीरेंद्र सिंह, रघुवीर और उनके आदमियों ने उन्हें पकड़ लिया।

रघुवीर ने अपने आदमियों को आदेश दिया, "इस ग़रीब कुत्ते को ऐसे मारो कि इसकी लाश भी ना मिले!"

अजय को बेरहमी से पीट-पीटकर मार दिया गया और उसकी लाश हवेली के पिछवाड़े में दफना दी गई। लेकिन श्रुति का गुस्सा चरम पर था। उसने रघुवीर पर चिल्लाते हुए कहा—

"तूने मेरे प्रेमी को मारा, लेकिन याद रख, मेरी आत्मा इस अन्याय को कभी माफ़ नहीं करेगी!"

रघुवीर ने एक कुटिल मुस्कान के साथ श्रुति को ज़बरदस्ती हवेली के अंदर घसीटा। उस रात हवेली के अंदर जो हुआ, वह किसी ने नहीं देखा, लेकिन कुछ घंटे बाद श्रुति की लाश हवेली के कुएँ में तैरती मिली।

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भाग 3: हवेली का श्राप

श्रुति और अजय की मौत को आत्महत्या घोषित कर दिया गया। गाँव में यह खबर फैला दी गई कि उन्होंने बदनामी के डर से अपनी जान ले ली। लेकिन इसके बाद से ही ठाकुर विला में अजीब घटनाएँ होने लगीं।

रात के समय हवेली से एक औरत के रोने और चीखने की आवाज़ें आती थीं।
रघुवीर ने जो भी दूसरी शादी की, उसकी पत्नियाँ रहस्यमयी तरीके से मर गईं।
ठाकुर वीरेंद्र सिंह का पूरा परिवार एक-एक करके भयावह परिस्थितियों में मारा गया।
कुछ सालों बाद, रघुवीर को अपनी ही हवेली में फाँसी से लटका हुआ पाया गया।

गाँववालों का मानना था कि यह श्रुति की आत्मा का बदला था।

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भाग 4: एक वकील की हिम्मत

साल 2023 में, एक युवा वकील अद्वैत मिश्रा देवरिया आया। उसे इस केस में कुछ गड़बड़ लगी। उसने पुराने रिकॉर्ड खंगाले और पता लगाया कि श्रुति और अजय की मौत हत्या थी, आत्महत्या नहीं!

अद्वैत ने गाँव के बुज़ुर्गों से बात की, कुछ पुरानी फाइलें खंगालीं और धीरे-धीरे सच्चाई बाहर आने लगी।

लेकिन जैसे ही अद्वैत इस मामले को कोर्ट में ले जाने की कोशिश कर रहा था, उसके साथ अजीब घटनाएँ होने लगीं

रात में कोई अदृश्य ताकत उसके कानों में "सच उजागर करो!" फुसफुसाती थी।
हवेली में जाते ही ठंडी हवा चलने लगती और दीवारों पर खून के निशान दिखते।

कुछ दस्तावेज़ रहस्यमयी तरीके से गायब हो गए।

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भाग 5: न्याय का फैसला
अद्वैत ने बिना डरे केस को आगे बढ़ाया। गवाहों के बयानों, कुछ पुराने सबूतों और डीएनए टेस्ट की मदद से उसने साबित कर दिया कि श्रुति और अजय की हत्या की गई थी।

कोर्ट ने रघुवीर के परिवार के बचे हुए लोगों को दोषी ठहराया और हवेली को सरकारी कब्जे में लेकर स्मारक घोषित कर दिया।

जब कोर्ट ने फैसला सुनाया, तो उसी रात अद्वैत ने हवेली से आखिरी बार एक हल्की सी मुस्कान महसूस की—मानो श्रुति की आत्मा अब शांति में थी।

अब हवेली वीरान थी, लेकिन लोगों का मानना था कि श्रुति की आत्मा को न्याय मिल चुका था और अब वह मुक्त थी। 🌑

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