CM योगी आदित्यनाथ की मेहनत और पवित्र उद्देश्य को कुंभ मेले में लगे प्रशासनिक अधिकारियों ने कलंकित कर दिया है। एक ओर कुंभ में भगदड़ की घटना विपक्ष के लिए परेशानी का सबब बन गई है।
पूर्वांचल न्यूज़ प्रिंट / लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मेहनत और पवित्र उद्देश्य को कुंभ मेले में लगे प्रशासनिक अधिकारियों ने कलंकित कर दिया है। एक ओर कुंभ में भगदड़ की घटना विपक्ष के लिए परेशानी का सबब बन गई है। दूसरी ओर, संसद के बजट सत्र में विपक्षी दलों के लिए यह बहस का मुद्दा बन गया।
पिछले तीन दिनों से इस मुद्दे को लेकर केंद्र और राज्य सरकार पर आरोप लगाए जा रहे हैं। तीन सदस्यीय जांच समिति महाकुंभ में घटनास्थल पर अपना काम करने में व्यस्त है। अब तक की जांच में जो तथ्य सामने आए हैं। यह मेले की तैयारियों में प्रशासनिक अमले की घोर लापरवाही एवं अदूरदर्शिता का परिणाम बताया जा रहा है।
मौनी अमावस्या की रात एक करोड़ से अधिक श्रद्धालु एकत्र हुए और उन्हें रोकने के लिए कुल 1,200 पुलिसकर्मी तैनात किए गए। मेले की तैयारियों के लिए जिम्मेदार अधिकारी मौके से गायब थे। पुलिस ने उत्साह में आकर अखाड़ों के स्नान का समय बदल दिया। पूर्व में अखाड़ों का स्नान अर्धसैनिक बलों और पीएसी की सुरक्षा में होता था, लेकिन इस बार हादसे के बाद इन्हें स्नान के लिए जुटाया गया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ के भव्य और दिव्य आयोजन के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ एसटीएफ, एटीएस और इंटेलिजेंस की कई टीमों और बड़ी संख्या में अफसरों की तैनाती की है। उन्होंने मेला क्षेत्र में बाकी व्यवस्थाएं बेहतर ढंग से की थीं, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के कारण मौनी अमावस्या में बड़ा हादसा हो गया, जबकि हादसे से पहले 3 करोड़ और हादसे के बाद करीब 8 करोड़ श्रद्धालुओं ने बिना किसी डर के त्रिवेणी में स्नान किया।
अधिकारीगण अपने काम का आनंद लेने में व्यस्त थे
महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर हुई भगदड़ की जांच के लिए एक समिति गठित की गई है, जिसने अपनी जांच शुरू कर दी है। इस जांच समिति में सेवानिवृत्त न्यायाधीश हर्ष कुमार के अलावा पूर्व डीजी वीके गुप्ता और सेवानिवृत्त आईएएस डीके सिंह शामिल हैं। जांच दल के सदस्यों ने प्रयागराज पहुंचकर घटनास्थल का निरीक्षण किया और मेले से जुड़े अधिकारियों के साथ बैठक कर तीखे सवाल पूछे, हालांकि अधिकारी अभी तक इन सवालों का जवाब नहीं दे पाए हैं। सूत्रों की मानें तो सभी पुलिस अधिकारी सिर्फ अपने काम की तारीफ पाने में व्यस्त थे।
जांच आयोग ने उठाए ये सवाल
जांच आयोग ने अधिकारियों से पूछा: यदि सब कुछ ठीक चल रहा था तो भगदड़ कैसे मची? जब आपको पता था कि इतनी बड़ी भीड़ आएगी तो आपने सुरक्षा के क्या उपाय किए? संगम क्षेत्र के अलावा और कहां भगदड़ मची? क्या झूंसी में भी कोई घटना घटी? सभी घटनाओं के सुरक्षा कैमरे के फुटेज दिखाएं तथा भीड़ नियंत्रण के लिए की गई योजना का ब्यौरा कहां है?
ये बातें भी आईं सामने
सूत्रों की मानें तो प्रशासन ने संगम, मौनी अमावस्या, महाकुंभ में स्नान के लिए भीड़ के आने का पहले से ही अनुमान लगा लिया था। भीड़ को हटाने के लिए कोई योजना क्यों नहीं बनाई गई? भीड़ के बावजूद तैरते पुल क्यों बंद किये गये? शाही स्नान के दौरान अर्धसैनिक बलों और पीएसी के जवानों को क्यों नहीं हटाया गया?