जलियांवाला बाग हत्याकांड को याद करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
नयी दिल्ली / लखनऊ : जलियांवाला बाग हत्याकांड को याद करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रद्धांजलि अर्पित की। शाह ने इस घटना को एक काला अध्याय बताया, जबकि योगी आदित्यनाथ ने इस स्थल को एक पवित्र तीर्थ स्थल बताया। जलियांवाला बाग हत्याकांड ने स्वतंत्रता आंदोलन को एक जन संघर्ष में बदल दिया
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पोस्ट में लिखा कि Jallianwala Bagh Massacre भारत के स्वतंत्रता संग्राम का वह काला अध्याय है, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। अमानवीयता की पराकाष्ठा पर पहुँच चुकी ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता से देशवासियों में जो आक्रोश पैदा हुआ, उसने स्वतंत्रता आन्दोलन को जनसंघर्ष में बदल दिया। जलियाँवाला बाग सभी देशभक्तों के लिए एक पवित्र तीर्थ है .
जलियांवाला बाग नरसंहार भारत के स्वतंत्रता संग्राम का वह काला अध्याय है, जिसने समूचे देश को झकझोर कर रख दिया। अमानवीयता की पराकाष्ठा तक पहुँच चुकी अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता से देशवासियों में जो रोष उत्पन्न हुआ, उसने आजादी के आंदोलन को जन-जन का संग्राम बना दिया।
— Amit Shah (@AmitShah) April 13, 2025
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उन्होंने अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर सपूतों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, "मैं जलियांवाला बाग में शहीद हुए शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। देश अमर शहीदों को सदैव अपनी स्मृति में रखेगा।" योगी आदित्यनाथ ने भी सोशल प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी भावनाएं व्यक्त कीं।
उन्होंने वीर सपूतों को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा: जलियांवाला बाग के अमर शहीदों को कोटि-कोटि नमन! जलियाँवाला बाग सभी देशभक्तों के लिए एक पवित्र तीर्थ है, जहाँ मातृभूमि के वीर सपूतों ने ब्रिटिश शासन की बर्बरता का विरोध करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी। जलियाँवाला बाग के अमर क्रांतिकारियों का बलिदान राष्ट्र के स्वाभिमान और स्वतंत्रता की अमर गाथा है, जो सदैव प्रेरणा देती रहेगी
जलियांवाला बाग के अमर बलिदानियों को कोटि-कोटि नमन!
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) April 13, 2025
जलियांवाला बाग सभी देशभक्तों के लिए एक पवित्र तीर्थ है, जहां मातृभूमि के वीर सपूतों ने ब्रिटिश हुकूमत की बर्बरता का प्रतिकार करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी।
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उन्होंने शहादत को प्रेरणादायी बताते हुए यह भी कहा कि जलियांवाला बाग के अमर क्रांतिकारियों का बलिदान राष्ट्र के स्वाभिमान और स्वतंत्रता की अमर गाथा है, जो सदैव प्रेरणा देती रहेगी। 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग में बैसाखी के अवसर पर आयोजित एक समारोह में ब्रिटिश अफसर जनरल डायर ने निहत्थे लोगों पर गोलियां चलवा दीं। इस विनाशकारी घटना में कई लोगों की जान चली गई, जिनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल थीं।
इस विनाशकारी घटना में कई लोगों की जान चली गई, जिनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल थीं। कई लोग कुचल गए और संकरा रास्ता होने के कारण बाहर नहीं निकल सके। डर के कारण कई महिलाएं और उनके बच्चे बगीचे में स्थित एक कुएं में कूद गए। वे सभी ब्रिटिश सरकार के रॉलेट एक्ट के खिलाफ आयोजित विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए यहां एकत्र हुए थे। इस कानून के अनुसार किसी भी भारतीय को बिना मुकदमा चलाए गिरफ्तार किया जा सकता था।