कविता पाठ - कहते हैं मरना तय है...

कविता पाठ - कहते हैं मरना तय है...

लेखक :  धन्नू लाल  " प्रेमातुर " 
बक्सर - बिहार 


कविता पाठ 

कहते हैं मरना तय है 
तो फिर उसका क्या भय है।
जिसने भय पर जय पा ली है 
वही जीवन मुक्त अभय है।

जब तक है शेष जीवन धरा पर
कर  उपकार  पर  अपर  पर
अपनी चिंता क्या करना बन्दे,
रक्षक  हैं  मोहन  मुरली  धर ।

मंदिर मस्जिद संगम तीरथ
नहीं है बेकार नहीं हैं बेअर्थ
हो श्रद्धा विश्वास  यदि  तो
पूर्ण करते हैं सारे मनोरथ।

यदि हों परिवार में माता पिता 
तो व्यर्थ जन्म तीर्थों  में  बीता
सश्रद्ध उन्हीं की सेवा कर पुत्र
सुख पूर्वक  आजीवन  जीता।

माता पिता हों प्रिय प्राण सम
उनकी सेवा ही हो परम धरम 
जीते जी सब पुरुषार्थ पाता है 
यहीं गति प्राप्त करता है चरम।

प्रेमातुर  ने  कर  बहुत  विचार 
प्राप्त किया है कुछ जीवन सार
धन यौवन का कुछ मोल नहीं है  
मात्र वशीकरण है मंत्र व्यवहार।



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