गोरखपुर लिंक हाईवे परियोजना ने न केवल पूर्वांचल में विकास की गति को तेज किया है, बल्कि अपनी जमीन दान करने वाले 22,029 किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त भी बनाया है।
- 22,029 खाद्य विक्रेताओं को 2,030.29 करोड़ रुपये का मुआवजा मिला
लखनऊ/पूर्वांचल समाचार प्रिंट: गोरखपुर लिंक हाईवे परियोजना ने न केवल पूर्वांचल में विकास की गति को तेज किया है, बल्कि अपनी जमीन दान करने वाले 22,029 किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त भी बनाया है। योगी सरकार ने पारदर्शी प्रक्रिया के तहत प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिए इस परियोजना के लिए किसानों को 2,030.29 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया है।
गोरखपुर को आजमगढ़ से जोड़ने वाले 91.35 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेसवे के लिए गोरखपुर, संत कबीर नगर, अंबेडकर नगर और आजमगढ़ जिलों के 172 गांवों की 1,148.77 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया है। यह अधिग्रहण बिना किसी विवाद के संभव हो पाया, क्योंकि किसानों को पर्याप्त मुआवजा और सम्मान दिया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद इस परियोजना के शुरुआती चरण में किसानों के योगदान को स्वीकार किया। जनवरी 2020 में गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) क्षेत्र में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने 500 किसानों को सम्मानित किया, जिनमें से 40 को उन्होंने स्वयं मंच पर सम्मानित किया।
सरकार की सोच स्पष्ट रही है कि बुनियादी ढांचे के विकास और औद्योगीकरण के लिए जमीन जरूरी है और इसके लिए किसानों का सहयोग जरूरी है। मुख्यमंत्री का मानना है कि किसान सिर्फ अन्नदाता ही नहीं बल्कि विकास कार्यों में सच्चे भागीदार भी हैं। इस परियोजना में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया बेहद पारदर्शी और भरोसेमंद रही। अगर कहीं कोई विवाद हुआ तो उसे जनसुनवाई के जरिए सुलझाया गया।
किसानों ने बिना किसी झिझक के इस विकास परियोजना में सरकार का सहयोग किया, जिसकी बदौलत आज यह एक्सप्रेसवे प्रमुखता से सामने आया है। गौरतलब है कि शुक्रवार को जब गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का उद्घाटन होगा तो एक बार फिर किसानों की भूमिका और उनके त्याग की प्रमुखता से चर्चा होगी। यह परियोजना इस बात का प्रतीक है कि जब सरकार और किसान मिलकर काम करते हैं तो विकास की राह आसान और कारगर होती है।