हिन्दुत्व–कॉरपोरेट गठजोड़ के विरुद्ध राष्ट्रीय साझा राजनीतिक मंच की आवश्यकता पर जोर

हिन्दुत्व–कॉरपोरेट गठजोड़ के विरुद्ध राष्ट्रीय साझा राजनीतिक मंच की आवश्यकता पर जोर

AIPF का दो-दिवसीय चौथा राष्ट्रीय अधिवेशन Fourth National Convention नई दिल्ली स्थित सुरजीत भवन में सम्पन्न हुआ।

हिन्दुत्व–कॉरपोरेट गठजोड़ के विरुद्ध राष्ट्रीय साझा राजनीतिक मंच की आवश्यकता पर जोर
  •  जन मुद्दों पर वर्षभर राष्ट्रीय पहलकदमी की घोषणा
  • अजय राय राष्ट्रीय फ्रंट कमेटी सदस्य चुने गए वहीं अखिलेश दूबे ,रहीमुद्दीन भी चुने गए और आलोक राजभर राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य बने 
पीएनपी नेटवर्क/  चंदौली : आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट का दो-दिवसीय चौथा राष्ट्रीय अधिवेशन नई दिल्ली स्थित सुरजीत भवन में सम्पन्न हुआ। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता विभिन्न जनसंगठनों एवं सामाजिक प्रतिनिधियों ने संयुक्त रूप से की, जबकि संचालन गांधीवादी आचार्य शुभमूर्ति ने किया। यह जानकारी एआईपीएफ के राष्ट्रीय चौथा सम्मेलन दिल्ली में आयोजित था वहां लौट कर आने के बाद नवनिर्वाचित एआईपीएफ के राष्ट्रीय फ्रंट कमेटी के सदस्य अजय राय ने दी। 

 उन्होंने सम्मेलन के बारे में कहा कि वहां राष्ट्रीय अध्यक्ष एस. आर. दारापुरी ने कहा  कि हिंदुत्व–कॉरपोरेट गठजोड़ से पैदा हुए गहरे संकट के विरुद्ध देश में एक व्यापक साझा राजनीतिक मंच का निर्माण समय की आवश्यकता है। अध्यक्ष मंडल के प्रो. अरुण कुमार ने आर्थिक न्याय, सामाजिक सरोकार, युवाओं-महिलाओं के सशक्तिकरण व रोजगार–आजीविका के सवालों को राष्ट्रीय एजेंडा में केंद्र में रखने की बात कही।

एडवोकेट प्रशांत भूषण Advocate Prashant Bhushan ने रोजगार पर एक बड़े राष्ट्रीय अभियान की मांग की, यह उल्लेख करते हुए कि एआई आधारित आर्थिक परिवर्तन नौकरियों और संसाधन वितरण को लेकर वैश्विक चिंताओं को बढ़ा रहे हैं। प्रो. अरुण कुमार ने रोजगार, आजीविका, कृषि, एमएसएमई और अत्यधिक संपत्ति पर उचित कराधान के माध्यम से संसाधनों के पुनर्वितरण को संबोधित करने वाली राष्ट्रव्यापी पहलों की आवश्यकता पर जोर दिया।

हिंदुत्व–कॉरपोरेट गठजोड़ पर गंभीर चर्चा अधिवेशन को संबोधित करते हुए संस्थापक सदस्य अखिलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि हिंदुत्व की विचारधारा और वैश्विक वित्तीय पूँजी का गठजोड़ लोकतांत्रिक संस्थाओं और सामाजिक न्याय की नींव को कमजोर कर रहा है। उन्होंने विपक्षी दलों से आग्रह किया कि कॉरपोरेट वर्चस्व और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हो रहे हमलों के विरुद्ध संयुक्त आवाज बुलंद की जाए। उन्होंने इस खतरे का मुकाबला व्यापक लोकतांत्रिक गठबंधन और बड़े सामाजिक–राजनीतिक एकजुटता के निर्माण में बताया

अधिवेशन में प्रकाश करात, एस. पी. शुक्ला, प्रेम कुमार मणि द्वारा शुभकामनाएँ भेजी गईं। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने रोजगार पर देशव्यापी संयुक्त पहल का आह्वान किया। विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों ने जन आंदोलनों के अनुभव साझा करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर वर्षभर की संगठित पहलकदमी का समर्थन किया।

अधिवेशन के अंतिम सत्र में नए नेतृत्व का चयन किया गया—


एस. आर. दारापुरी (राष्ट्रीय अध्यक्ष), डॉ. राहुल दास (महासचिव), कशु शुभमूर्ति (संगठन महासचिव), नसीम खान व विजय सिंह (उपाध्यक्ष), पुष्पा उरांव, सविता गोंड, अमृता और अमर सिंह को राष्ट्रीय सचिव, दिनकर कपूर को कोषाध्यक्ष तथा सुरेश चंद्र बिंद को कार्यालय सचिव के रूप में चुना गया। अधिवेशन में 43 सदस्यीय राष्ट्रीय समिति, 19 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यसमिति तथा एक सलाहकार मंडल का गठन भी किया गया। 

मुख्य निष्कर्ष

* हिंदुत्व–कॉरपोरेट गठजोड़ के विरुद्ध व्यापक लोकतांत्रिक मंच का निर्माण ऐतिहासिक अनिवार्यता।
* युवाओं, श्रमिकों, किसानों, महिलाओं, दलित–पिछड़ों और उपेक्षित समुदायों के अधिकारों पर आधारित जन-लोकतांत्रिक दिशा को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाया जाएगा।
* आने वाले वर्ष में रोजगार, सामाजिक अधिकार, लोकतांत्रिक संस्थाओं की रक्षा और आर्थिक न्याय के मुद्दों पर देशव्यापी अभियान की शुरुआत होगी।

अधिवेशन का समापन आचार्य शुभमूर्ति के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ था

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