चंदौली/शहाबगंज। केंद्र व राज्य सरकार द्वारा खासकर ग्रामीण अंचल क्षेत्रों में हो रहे विकास कार्यों की गति में तेजी लाई जा रही है और सभी गांवों में विकास कार्य कराए जा रहे हैं। वहीं कुछ प्रधानों द्वारा ग्राम सचिव तथा पंचायत मित्र जो दबंग किस्म के हैं अथवा उनकी राजनीतिक पकड़ हैं। इन सबकी मिलीभगत से गांव के विकास कार्यों के लिए आवंटित धनराशि का बंदरबांट धड़ल्ले से हो रहा है। जिससे गांव का विकास कार्य आधा अधूरा पड़े हुए हैं। जबकि गांवों में विकास कार्य नहीं होने से ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है ग्राम प्रधान द्वारा गांव के विकास कार्यों के लिए आवंटित धन को गबन करने को लेकर जब ग्रामीण विभागीय अधिकारियों के यहां शिकायत करते हैं तो जनपदीय अधिकारियों द्वारा केवल यह कह कर उनको वापस भेज दिया जाता है कि आप जाइए हम इसकी जांच करेंगे। आरोप है कि जांच करने के नाम पर विभागीय अधिकारी ग्राम प्रधान को बुलाते हैं और ग्राम प्रधान द्वारा विभागीय अधिकारियों को कुछ मोटी रकम दे दी जाती है जिससे विभागीय अधिकारियों द्वारा खामोशी साध ली जाती है। यह सिद्ध होता है कि घूसखोरी करके विभागीय अधिकारी उनकी जांच नहीं करते हैं। अथवा दबंगई की वजह से यह साबित होता है कि ग्राम प्रधानों की विभागीय अधिकारी जांच करने में कतराते हैं ।
समाजसेवी कार्तिकेय पांडेय कहते हैं कि शहाबगंज विकासखंड के कई ऐसे गांव बनरसिया,बेन, खरौंझा, मालदह, मूसाखाड ढोडनपुर कौड़िहार इत्यादि गांव है जहां पर अभी भी विकास कार्य आधे-अधूरे पड़े हुए हैं और वहां के ग्राम प्रधानों द्वारा विकास कार्य के नाम पर आवंटित पैसे को निकालकर गबन कर दिया गया है। जबकि ग्रामीणों की ग्राम प्रधान के यहां कोई सुनवाई नहीं होती है। ग्राम प्रधान की शिकायत करने जब ग्रामीण विभागीय अधिकारियों के यहां जाते हैं तो जांच करने के नाम पर उन्हें बैरंग लौटा देते हैं।
इस शिकायत के बाद भी देखना यह है कि विभागीय अधिकारियों द्वारा ग्राम प्रधान की जांच कराई जाती है अथवा नहीं। ग्राम प्रधान द्वारा विकास कार्यों के नाम पर गबन किए गए पैसों को विभागीय अधिकारियों द्वारा ग्राम प्रधान के खाते से रिकवरी कराई जाती है अथवा सरकारी धन का बंदरबांट चालू रहता है।