लखनऊ, पूर्वांचल न्यूज प्रिंट। इस वैश्विक महामारी कोरोना के बीच अमूमन कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की आशंका पर एक निश्चित क्षेत्र में धारा 144 लागू कर दी जा रही है। धारा लागू होने के बाद पुलिस को अधिकार मिल जाता है कि चार या उससे ज्यादा लोगों को एक जगह एकत्रित होने पर रोक लगा देती है। इसका उल्लंघन करने पर पुलिस कारवाई भी करती है।
सीआरपीसी के तहत आने वाली धारा 144 शांति व्यवस्था को बनाये रखने के लिए लगायी जाती है। इस धारा को विशेष परिस्थितियों जैसे दंगा, लूटपाट, आगजनी, हिंसा, मारपीट को रोककर, फिर से शांति व्यवस्था स्थापित करने के लिए किया जाता है।
किसी भी जिले में धारा 144 को लागू करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट यानी जिलाधिकारी द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी किया जाता है, जिसके बाद उस तनावपूर्ण इलाके में ये धारा लागू कर दी गई । इलाके में धारा 144 लागू होती है, वहां चार या उससे ज्यादा लोग इकट्ठे नहीं हो सकते और उस क्षेत्र में पुलिस और सुरक्षाबलों को छोड़कर किसी को भी हथियार लाने या ले जाने पर रोक लग जाती है। लोगों का घर से बाहर घूमना प्रतिबंधित हो जाता है और यातायात को भी धारा 144 लगे रहने तक रोक दिया जाता है। नियम के अनुसार, किसी भी क्षेत्र में धारा 144 एक बार में अधिकतम दो महीने के लिए ही लागू की जा सकती है। हालांकि जरूरत पड़ने पर इसे लागू होने के समय से लेकर अधिकतम छह महीने के लिए भी बढ़ाया जा सकता है।
धारा 144 लागू होने के बाद इसका पालन करना देश के हर नागरिक की जिम्मेदारी होती है, लेकिन इसका उल्लंघन करने पर कानून में सजा का भी प्रावधान है। अगर किसी व्यक्ति को धारा 144 के उल्लंघन का दोषी पाया जाता है, तो उसे अधिकतम तीन साल जेल की सजा हो सकती है। धारा 144 लागू रहने के समय अगर कोई व्यक्ति पुलिस या सुरक्षाबलों को उनके काम में दखल देता है तो उसके लिए भी उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा जा सकता है।