दुर्गावती पुलिस का खेल, मां-बाप गए जेल 3 महीने की बच्ची की हालत बिगड़ी, झोलाछाप के सहारे हो रहा इलाज, पुलिसिया उत्पीड़न पर भड़के मोहनियां बीजेपी विधायक

दुर्गावती पुलिस का खेल, मां-बाप गए जेल 3 महीने की बच्ची की हालत बिगड़ी, झोलाछाप के सहारे हो रहा इलाज, पुलिसिया उत्पीड़न पर भड़के मोहनियां बीजेपी विधायक


मोहनिया विधानसभा के भाजपा विधायक  निरंजन राम कहते हैं कि इस घटना से बहुत  दुःखी हूं. अगर 3 माह की बच्ची के माता-पिता निर्दोष हैं तो तत्काल उन्हें बेल पर रिहा कर उसके बच्ची का जान बचाया जाएगा. क्योंकि 6 माह तक के बच्चों को मां का दूध पिलाना अति आवश्यक है और यह संस्कृतिक चलती आ रही है.
उन्होंने कहा कि मैं स्थानीय स्तर पर जांच कराया तो पता चला कि प्रशासन के द्वारा जो मुख्य अभियुक्त हैं उन तक यह लोग पहुंच ही नहीं पा रहे हैं.
उसके आक्रोश में पुलिस के द्वारा उस समाज के महिला व बच्चों को और निर्दोषों को आरेस्ट करके पुलिस अपना खानापूर्ति किया है.और ऐसा क्या कारण है कि रामगढ़ इलाकों में करीब 5 महीने में लगातार ऐसी घटना होती आ रहा हैं.  रामगढ़ में डीएसपी के साथ और थाना के साथ घटनाओं पूरा बिहार क्या देश देख रहा है.
 विगत 10 दिन पहले 
जन वितरण प्रणाली की दुकान के मामले की घटना को पूरा बिहार देखा है.
 और अब जमुरनी गांव का घटना सामने आ गया.
 हमको समझ में नहीं आ रहा है कि रामगढ़ के पूरा दलित ही गलत हैं. रामगढ़ विधानसभा के दलितों के साथ अत्याचार हो रहा है.
मोहनिया में ऐसी घटना नहीं घटती और भभुआ में भी ऐसी घटना नहीं घटती है आखिर रामगढ़ में ही ऐसी घटना क्यों
 घटती है.जहां दलितों के साथ इस तरह की घटना घटती है
 यह बहुत गंभीर विषय है.
 मैं इस पर कैमूर जिला पदाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी से बात कर बच्ची के लिए कोई व्यवस्था करवाएंगें.●
Purvanchal News Print।                    दुर्गावती कैमूर/बिहार रिपोर्ट-संजय मलहोत्रा : बिहार प्रान्त के कैमूर जिले के दुर्गावती थाना क्षेत्र में बीते सोमवार को जेसीबी से मिट्टी खुदाई के दौरान दो ट्रैक्टर वाले आपस में भिड़ गए थे.
 ये विवाद सुलझाने जब पुलिस पहुंची तो कुछ ग्रामीणों से नोकझोंक हो गई. उसी क्षण  पुलिस वापस आने के बाद जिला के वरीय पदाधिकारियों के निर्देश पर देर शाम काफी संख्या पुलिस दल बल के साथ उक्त गांव में पहुंचकर बेकसूर लोगों को उठाया और प्रताड़ित करने के बाद  जेल भेज दिया। पुलिस की इस कार्रवाई में
 जिसमें एक 3 माह की बच्ची के भी माता-पिता लपेटे में आ गए, जिन्हें निर्दोष बताया जा रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि उस घटना से इनका कोई संबंध नहीं था.
पुलिस के साथ दुर्व्यवहार करने वाले जो लोग थे वह उसी वक्त गांव छोड़कर फरार हो गए. लेकिन पुलिस द्वारा  अपना दबदबा बनाने के लिए बीते सोमवार की देर शाम जमुरनी गांव में काफी संख्या में दल-बल के साथ पहुंचकर बेकसूर लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी 3 माह की दूध मुंही बच्ची को 7 दिन से मां का दूध नहीं मिलने के कारण बच्ची की हालत नाजुक बताई जा रही है.
 अब सवाल यह उठता है कि मासूम बच्ची भूख के कारण मरती है तो उसकी जवाबदेही  किसकी होगी. सूत्रों ने बताया कि पुलिसिया खौफ के कारण आज भी जमुरनी गांव पूरा खाली पड़ा है.
गांव में नौजवान पुरुष महिलाएं भी गांव छोड़कर फरार हैं. फरार होने का वजह यह है कि पुलिस ने 40 लोगों को नामजद और 62 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज कर दिया है.
जिसको लेकर ग्रामीणों में पुलिसिया खौफ जारी है.
 बता दें कि आरती देवी पति पत्नी को पुलिस जेल भेजते हुए यह नहीं सोची की उसके तीन माह की बच्ची की क्या हाल होगा. पुलिस अपना कोरम पूरा करने के लिए बेकसूर महिला के गोद में 3 माह का दूध मुहा बच्ची को मां से अलग करते हुए जेल भेज दी. आखिरकार गांव के दूसरे लोग कब तक  उस बच्ची की देखभाल और दवा करेंगे.
मरना और जीना तो भगवान के हाथ में है लेकिन यदि बच्ची मरती है
तो यह उस भूमि की एक यादगार दास्तां बन जाएगी.
और आने वाला इतिहास कभी नीतीश सरकार के पुलिस को माफ नहीं करेगा.