दुर्गावती, रिपोर्ट-संजय मल्होत्रा: बिहार के कैमूर जिले के दुर्गावती अंतर्गत उत्तर प्रदेश बिहार की सीमा में खजुरा गांव के समीप प्रवासी मजदूरों की संख्या बिहार में आने का कम हुआ है.
लेकिन प्रवासी मजदूरों पलायन का सिलसिला लगातार जारी है.
जहां प्रवासी मजदूर हजारों हजार की संख्या में यूपी-बिहार सीमा में पहुंच रहे थे.
वहां सैकड़ों की संख्या दिखाई देने लगी है लेकिन चिलचिलाती धूप में प्रवासी मजदूरों के दिमाग से कोरोना वायरस संक्रमण बीमारी का भय खत्म हो चुका है.
वैश्विक महामारी संक्रमण को ताक पर रखते हुए घर जाने की होड़ मची है.खजुरा गांव के समीप थर्मल स्क्रीनिंग कराने के बाद कड़ाके की धूप में
कन्धे पर छोटे-छोटे बच्चों को लेकर एक किलोमीटर कर्मनाशा रेलवे स्टेशन पहुंच रहे हैं और प्रवासी मजदूर लंबी लाइन लगाकर ट्रेन का इंतजार कर रहे हैं और वहीं दूसरी तरफ कोरोना वायरस संक्रमण बीमारी फैलने की डर से रेलवे स्टेशन कर्मनाशा
बाजार के बाजार वासियों के द्वारा अपने दुकान और घर के आगे छाया में भी प्रवासी मजदूरों को खड़ा होने से मना कर दिया जा रहा है.
जिससे चिलचिलाती धूप में प्रवासी मजदूर लाइन में घंटों खड़ा हो कर ट्रेन खुलने का इंतजार कर रहे हैं
जहां सरकार की तरफ से छाया का व्यवस्था प्रवासी मजदूरों के लिए नहीं किया गया है.
जिसको लेकर प्रवासी मजदूरों ने काफी रोष जताया.
और प्रवासी मजदूरों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी कर्मनाशा रेलवे स्टेशन पर किया. वही मौके पर पहुंचे मुस्लिम दलित एकता फ्रंट के बिहार प्रदेश प्रभारी सुरेश वाडकर ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सरकार दलित विरोधी कार्य कर रही है .
और दोहरी नीति किया जा रहा है लाक डाउन होने के बाद सरकार यदि दस रोज के लिए ट्रेन और बस चलवा दी होती तो आज यह मुसीबत प्रवासी मजदूरों को झेलना नहीं पड़ता है. लाक डाउन होने के कारण न जाने कितने प्रवासी मजदूरों की जान चली गई इसका जवाबदेही वर्तमान सरकार की होगी.