● दूधमुंही बच्ची को दुर्गावती पुलिस ने किया उसकी मां से अलग, भूख से बिगड़ी हालत.
●अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण मंत्री रमेश ऋषि देव ने बताया कि कैमूर जिला पदाधिकारी को आदेश करता हूं , उस बच्ची का देखभाल करेंगे, साथ ही बेकसूर लोगों पर विशेष ध्यान दिया जाए और ग्रामीणों को पुलिस प्रताड़ित नहीं करेगी. दुर्गावती (कैमूर/बिहार), रिपोर्ट-संजय मल्होत्रा: बिहार राज्य के कैमूर जनपद के दुर्गावती थाना क्षेत्र के जमुरनी गांव में जेसीबी से मिट्टी खुदाई के विवाद सुलझाने गई पुलिस के साथ हल्का नोकझोंक के मामले में जिला पदाधिकारी कैमूर के निर्देश पर 40 लोगों के खिलाफ नामजद और 62 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज किया गया . जिसमें मिट्टी खुदाई के दौरान आपस में उलझे लोगों के अलावा भी ज्यादा संख्या में बे-कसूरवार शामिल हैं. इस पुलिसिया नोकझोंक में शामिल लोग पुलिस के दोबारा उक्त गांव में पहुंचने के पहले ही कहीं फरार हो गए थे. दोबारा पुलिस के कार्रवाई में पुलिस का खौफजदा बनी निर्दोष जनता और महिलाएं बच्चे शामिल हो गईं.
उसी दौरान पुलिस ने कार्रवाई करते हुए पांच लोगों को गिरफ्तार किया. इस गिरफ्तारी के क्रम में तीन माह के दूध मुंही बच्ची की मां को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.
आरोप है कि जिसका उक्त घटना से कोई संबंध नहीं था.
पुलिस ने यह भी नहीं समझा कि बेकसूर पांच लोगों की गिरफ्तारी में महिला जेल जा रही है. तो उसके दूध मूही बच्ची की देखभाल कौन करेगा. जबकि उसके घर में कोई दूसरी महिला नहीं है.
जो गिरफ्तारी हुई है अब तक उनका भी मिट्टी खुदाई में उन ड्राइवरों से कोई संबंध नहीं है. जिन लोगों पर प्राथमिकी दर्ज हुई है वह सब बेकसूर बताए जा रहे हैं.
जिन लोगों का पुलिस के साथ नोकझोंक से कोई संबंध नहीं है. प्राथमिकी दर्ज होने के बाद पूरे ग्रामीण गांव छोड़कर फरार हो गए हैं.
लेकिन पुलिस अपना कोरम पूरा करने के लिए और लोगों में भय व्याप्त करने के लिए बीते सोमवार की देर शाम में जमुरनी गांव में पुलिस दलबल के साथ जाकर बेकसूर लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दी है.आरोप है कि निर्दोष ग्रामीणों पर भी घर में घुसकर डंडे बरसाए गए है. मिली जानकारी के अनुसार उक्त गांव की महिला कृष्णावती देवी पति मंटू राम दोनों पति-पत्नी को पुलिस भी उठा कर जेल भेज दी है .उसके दूध मुहि तीन माह की मासूम बच्ची तथा 7 वर्षीय पुत्री संजना कुमारी व चार वर्षीय पुत्री गुड्डी कुमारी शामिल है.
बच्चों का देखभाल कौन करेगा अब सवाल यह खड़ा होता है. दूधमुंही बच्ची के माता-पिता तो जेल गए हैं.
सोमवार से सेवा कर रहे एक वृद्ध महिला ने बताया कि जब अबोध बच्ची रोने लगती है तो मेरा तो कलेजा फट जाता है.
कहीं से भी मांग चाहकर दूध की व्यवस्था करती हूं और शेष बच्चों की भी व्यवस्था करती हूं घर के तो सभी मर्द भाग गए हैं.
पुरुषों के गांव छोड़ देने के बाद प्राथमिकी दर्ज के परिजन भोजन के लिए भूखे प्यासे तड़प और बिलख रहे है.
पूरी बस्ती खाली हो चुका है सभी ग्रामीण लोग गांव छोड़कर फरार हो चुके हैं.
उक्त गांव में एक भी नौजवान या पुरुष महिला नहीं दिखाई दे रहे हैं. एक तरफ कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी का लाक डाउन तो दूसरी तरफ पुलिसिया खौफ जारी है.
सारे लोग गांव छोड़कर फरार हो गए हैं. इस विषम परिस्थिति में 3 माह के नवजात बच्चे को मां की दूध की आवश्यकता की पूर्ति कौन करेगा.
जेल जाने के बाद उक्त बच्ची की भूख से रोते-रोते हालात काफी बिगड़ गई है.
सवाल उठता है कि भूख से नवजात शिशु की मौत होती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?.