ओवरलोडिंग के खिलाफ सड़क पर उतरा पुलिस और जिला प्रशासन, 124 ट्रकों से वसूले 65 लाख
Harvansh Patel6/09/2020 07:49:00 pm
By: संजय मल्होत्रा दुर्गावती/ मोहनिया: मंगलवार को बिहार राज्य के कैमूर जनपद में जिला प्रशासन का तेवर कुछ ज्यादा ही चढ़ा दिखा. यहां ओवर रोड बालू की वजह से हाईवे जाम कि समस्या नासूर बन गई है और इस समस्या को देखते हुए पुलिस प्रशासन व विभागीय अधिकारी एक साथ सड़क पर उतर पड़े.
इस दौरान चेकिंग अभियान में सरकारी खजाने में 65 लाख जमा हुआ, और कुल 124 ट्रकों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई. पिछले 25 दिनों से यूपी-बिहार कर्मनाशा बॉर्डर से लेकर दुर्गावती तक दक्षिणी लेन जाम रहता था. लेकिन पिछले 3 दिनों से 20 से 25 किलोमीटर नेशनल हाईवे-दो की फोरलेन सड़क पर आवाजाही एक तरफ से ठप हो जाता था. महज दो-चार किलोमीटर दूरी तय करने में 10 घंटे से अधिक का वक्त लगने लगा था." दूसरी तरफ चिलचिलाती धूप और उमस भरी गर्मी के बीच कच्चे सामान लेकर जा रहे ट्रक चालकों की परेशानी बढ जा रही है तो दूसरी तरफ लॉक डाउन में ढील मिलने के बाद जिस तरह से छोटी बड़ी गाड़ियां हाईवे से गुजर रही है. जाम की वजह से उसमें सवार लोग भूखे प्यासे बिलबिला रहे हैं. "यही कारण है कि आज बालू लदे ट्रकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मोहनियां एसडीएम शिव कुमार राउत, एसडीपीओ रघुनाथ सिंह के अलावा दुर्गावती-मोहनिया के अंचलाधिकारी अधिकारी थानाध्यक्ष और विभागीय अधिकारी जब सड़क पर उतरे तो 124 ट्रकों से 65 लाख रुपये जुर्माना वसूल किया. एसडीएम मोहनिया ने बताया कि ओवरलोडिंग के खिलाफ कार्रवाई के दौरान ऑन द स्पॉट 14 बालू लदे ट्रकों से 9 लाख 50 का राजस्व वसूला गया तो दूसरी तरफ 110 ट्रकों से ई-चालान के जरिए 55 लाख जुर्माना वसूल किया गया."
यहां बता दें कि पिछले 15-20 दिनों से यूपी का चंदौली पुलिस प्रशासन बालू लदे ट्रकों को उत्तर प्रदेश सीमा में घुसने पर रोक लगा दी है. लिहाजा बिहार सीमा में बालू लदे सैकड़ों करके खड़े हो गए. फिर दूसरे मालवाहक ट्रक विपरीत दिशा से गुजरने लगे तो छोटी-बड़ी गाड़ियां भी यहां जाम में फंस गई. नेशनल हाईवे 2 पिछले 10 सालों से अंडर कंस्ट्रक्शन है और जहां भी क्रॉसिंग है. वहां ट्रकें विपरीत दिशा में प्रवेश कर जा रही हैं जिसके चलते यूपी बॉर्डर से लेकर मोहनिया टोल प्लाजा तक नेशनल हाईवे- 2 पूरी तरह से जाम है.
यानी ट्रकों का चक्का जाम की समस्या झेल रहे स्थानीय लोगों ने बताया कि सरकार ही नहीं चाहती कि बालू ओवरलोडिंग बंद हो क्योंकि इस कारोबार में सफेदपोश शामिल हैं. सरकार के इशारों पर ही सोन नदी से बालू का अवैध खनन और परिचालन किया जा रहा है. लोगों ने बताया कि जब शासन से जुड़ी बीमारी ऊपर से नीचे आती है तो स्थानीय अधिकारी भी इस समस्या का समाधान नहीं कर पाते हैं. वहीं शासन से जुड़ी बीमारी नीचे से ऊपर जाती है तो शासन और प्रशासन उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करता है. "लेकिन स्थानीय पुलिस प्रशासन और विभागीय अधिकारी भी बालू की ओवरलोडिंग और अवैध खनन के सवाल पर हनक नहीं दिखा पा रहे हैं. इसका नतीजा है कि ट्रांसफर या विभागीय कार्रवाई का डर लोगों में तनिक बज8 नहीं है.अगर सरकार चाह जाए तो सोन नदी में बालू लोडिंग का कंसेप्ट अंडर लोड हो जाएगा और सोन नदी से बालू लेकर निकलने वाली गाड़ियां जब अंडरलोड होंगी तो न हाईवे जाम होगा ना सड़कें खराब होंगी. ना ब्रिज टूटेगा और ना ही सड़क हादसे में लोगों की मौत होगी "
वैसे यह बात सही है कि यदि यूपी का पुलिस प्रशासन बालू लदे ट्रकों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है तो आखिर कैमूर सीमा में प्रवेश करते ही बालू लदे ट्रकों के खिलाफ कैमूर पुलिस प्रशासन विभागीय अधिकारी कार्रवाई क्यों नहीं करता है. यहां बता दें कि इस रास्ते 24 घंटे में 25-50 मरीज जो गंभीर स्थिति में इलाज कराने के लिए वाराणसी जाते हैं. "इस जाम की समस्या से रास्ते में ही मौत हो जाने की डर सता रही है क्योंकि दो-तीन घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचने वाला मरीज 24 घंटे जाम में फंसा रह जा रहा है यही नहीं अगर हर दिन बालू के ट्रकों के खिलाफ जिला प्रशासन इसी तरह की कार्रवाई करें तो हर दिन एक करोड़ से अधिक का राजस्व सरकारी खजाने में जमा होना तय है".