कृषि सुधार के नाम पर लाया गया अध्यादेश किसान विरोधी है : अजय राय

कृषि सुधार के नाम पर लाया गया अध्यादेश किसान विरोधी है : अजय राय

फोटो - pnp : अजय राय

                                                      ● 9 अगस्त को “किसान मुक्ति दिवस” के आंदोलन में भागीदारी निभाएगा मजदूर किसान मंच 
डीडीयू नगर (चन्दौली) : किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के लिए कानून बनाने की आवश्यकता है. साथ ही मोदी सरकार द्वारा कृषि सुधार के नाम पर लाया गया अध्यादेश किसान विरोधी कहा जा सकता है. ये बातें अजय राय प्रभारी मजदूर किसान मंच ने कही है. उन्होंने यहां जारी बयान में कहा है कि पिछले महीने मोदी सरकार ने कृषि सुधार के लिए एक अध्यादेश लायी है, इससे किसान को वर्तमान में मिला न्यूनतम समर्थन मूल्य का संरक्षण भी समाप्त हो जायेगा और किसान कार्पोरेट्स और बड़ी कम्पनियों के रहमो करम पर आश्रित हो जायेगा. इनमें से एक अध्यादेश में कृषि उत्पादन मंडी समितियों में ही उपज बेचने की बाध्यता ख़त्म करके खुली मार्किट में कहीं भी बेचने की बात किसान के लिए बिलकुल लाभकारी नहीं है क्योंकि वहां पर उचित दाम मिलने की कोई  गारंटी नहीं है. दूसरे किसान की सौदेबाजी करने की क्षीण क्षमता के कारण वह अपने उत्पाद को व्यापारियों की इच्छा के दाम पर ही बेचने के लिए बाध्य होता है. अतः खुला बाज़ार बड़ी कंपनियों के लिए ही लाभदायिक है न कि किसानों के लिए.
 दूसरे अध्यादेश द्वारा आवश्यक वस्तु अधिनियम को ख़त्म करके व्यापारियों को किसी भी सीमा तक कृषि उत्पादों का भण्डारण करने की छूट दे दी गयी है. इससे भी  जमाखोरी और कालाबाजारी को ही बढ़ावा मिलेगा न कि किसान को कोई लाभ होगा. इससे व्यापरियों को नकली कमी दिखा कर उत्पादों को ऊँचे दामों पर बेचने की छूट भी मिल जाएगी जिससे आम आदमी को महंगाई का शिकार होना पड़ेगा. 
इसके  तीसरे अध्यादेश द्वारा ठेका खेती को बढ़ावा दिया गया है. जिससे कम्पनियां अपनी शर्तों पर किसानों से ठेके पर खेती करवा सकेंगी. सरकार का यह आदेश भी किसान विरोधी है क्योंकि एक बार किसी कम्पनी से अनुबंध कर लेने के बाद किसान को कम्पनी द्वारा आदेशित फसल ही उगानी पड़ेगी और कम्पनी द्वारा अनुबंधित मूल्य पर ही बेचनी पड़ेगी. इसमें यह भी रखा गया है कि यदि उत्पाद कम्पनी द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं होगा तो कम्पनी उसे लेने से इनकार भी कर सकती है. इसके अतिरिक्त किसान को कम्पनी द्वारा दिए गए बीज ही इस्तेमाल करने होंगे जिन्हें हरेक फसल के लिए कम्पनी से ही खरीदना होगा. इस प्रकार ठेका खेती से किसान कम्पनियों के गुलाम बन जायेंगे. इससे “उत्तम खेती, मध्यम व्यापार, सबसे बुरी चाकरी यार” वाली कहावत भी झूठी सिद्ध हो जाएगी.  
इसे देखते हुए मजदूर किसान मंच यह मांग करता है कि सरकार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने हेतु कानून बनाये जैसा कि पंजाब और हरियाणा में है. इसके साथ ही खुले बाज़ार की जगह कृषि उत्पादन मंडी समितियों की संख्या बढ़ाये ताकि किसान आसानी से नजदीक से नजदीक अपनी फसल को बेच सके. इसके अतिरिक्त कृषि सुधार के नाम पर लाये गए अध्यादेशों को वापस ले. 
यह भी उल्लेखनीय है कि उपरोक्त किसान विरोधी अध्यादेशों के विरुद्ध आल इंडिया किसान मजदूर संगठन से जुड़े सभी किसान संगठन 9 अगस्त को पूरे देश में “किसान मुक्ति दिवस” मनाने जा रहे हैं जिसमें व्यापक किसान जनविरोध प्रदर्शित होगा. इसमें मजदूर किसान मंच की भी सक्रिय भागीदारी होगी.