कर्मनाशा नदी: रात्रि में हो रहा 50 टन क्षमता वाले स्टील ब्रिज पर 90 टन बालू ट्रकों का परिचालन!

कर्मनाशा नदी: रात्रि में हो रहा 50 टन क्षमता वाले स्टील ब्रिज पर 90 टन बालू ट्रकों का परिचालन!


फोटो pnp: कर्मनाशा नदी पर बना पूल

दुर्गावती (कैमूर): थाना क्षेत्र अंतर्गत यूपी-बिहार बॉर्डर पर कर्मनाशा नदी में 25 करोड़ की लागत से 50 से 55 टन क्षमता वाले बने स्टील ब्रिज पर रात्रि में 90 से 100 टन ओवरलोडिंग बालू ट्रकों का परिचालन किया जा रहा है.
 और वहीं दिन में ओवरलोडिंग से परहेज किया जाता है. यह सब रात्रि के अंधेरे का फायदा उठाकर किया जा रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ओवरलोडिंग का खेल स्टील ब्रिज पुल का इस्तेमाल बिहार से उत्तर प्रदेश में आने के लिए धड़ल्ले से किया जा रहा है. इस पूल की क्षमता 50 टन है लेकिन रात के अंधेरे में चोरी-छिपे ट्रक 80 से 100 टन माल लादकर आर-पार हो रही हैं. इसके लिए चंदौली के निगरानी का जिम्मा पुलिस और परिवहन विभाग को एनएचआई के द्वारा सौंपा गया है. जबकि बिहार में कैमूर और रोहतास जिला प्रशासन को इसकी जिम्मेदारी दी गई है. ताकि ओवरलोड वाहन कर्मनाशा नदी में बने स्टील ब्रिज से नहीं पार होने पाए, लेकिन बावजूद इसके ओवरलोडिंग का खेल बदस्तूर जारी है. वहीं स्थानीय लोगों की मानें तो ओवरलोडिंग एनएचआई के कर्मचारियों की मिलीभगत से रात में स्टील ब्रिज से पार कराया जा रहा है. ओवरलोडिंग बंद नहीं हुआ तो स्टील ब्रिज भी ध्वस्त हो जाएंगे. सड़क और एप्रोच मार्ग ओवरलोडिंग के कारण कर्मनाशा नदी पर नवनिर्मित बने स्टील ब्रिज का एप्रोच मार्ग भी धंस गया है, जो ओवरलोडिंग के खेल की कहानी बताने के लिए काफी है. एनएचआई के टेक्निकल मैनेजर नागेश सिंह ने कहा कि ओवरलोड वाहनों पर बिहार सरकार ने प्रतिबंध नहीं लगाया तो पूल के साथ सड़क और एप्रोच मार्ग भी पूरी तरह से ध्वस्त हो जाएंगे. वही चंदौली से बिहार जाने के लिए नदी पर बने पुरानी पुलिया ब्रिटिश काल के पुल का जीर्णोद्धार करके बिहार की तरफ जाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है.  दरअसल,  दिल्ली हावड़ा nh2 पर स्थित कर्मनाशा नदी पुल का निर्माण 2009 में 155 करोड़ रुपए की लागत से बना हुआ था. लेकिन 28 दिसंबर 2019 में पूल के दो पिलर के पाये टूट गए थे जबकि अन्य पिलर में दरार आ गई थी . इसके बाद तत्कालिक रूप से 25 करोड़ की लागत से दो डायवर्शन पुल बना कर आवागमन को शुरू कराया गया था. जो बरसात में पानी बढ़ने के कारण नदी में बह गया. पूर्वोत्तर भारत से संपर्क टूटने का डर बारिश के दिनों में परिवहन के लिए यहां स्टील ब्रिज बनाया गया. जिसकी टेस्टिंग भी पूरी की जा चुकी है. पुल की क्षमता 50 से 55 टन का है. लेकिन अब एनएचएआई के अधिकारियों को डर सता रहा है कि अगर ओवरलोडेड ट्रक के यहां से गुजरी तो पुल भी छतिग्रस्त हो जाएगा. जिसके पूर्वोत्तर भारत से संपर्क टूट जाएगा. इस बाबत एनएचएआई के अधिकारियों ने ओवरलोडिंग पर लगाम लगाने के लिए कैमूर रोहतास और चंदौली वाराणसी के जिला प्रशासन को पत्र लिखकर ओवरलोडिंग पर लगाम लगाने के लिए अपनी मांग को दोहराया है. बता दें कि पिछले दिनों पुल पर ओवरलोडेड वाहनों के धड़ल्ले से परिचालन को देखते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण  एन एच आई  विभाग ने कुछ घंटों के लिए पुल का परिचालन ठप कर दिया था. जिससे वाहनों के खड़े होने से बिहार के इलाकों में लंबा जाम लग गया था साथ ही इसका असर चंदौली के भी क्षेत्र में देखने को मिला. इसके बाद बिहार के कैमूर प्रशासन ने ओवरलोडेड वाहनों पर रोक लगाने की प्रतिबद्धता दोहराई. जिसके बाद परिचालन शुरू किया गया था. खास बात तो यह है कि फिलहाल इस पुल पर 50 टन की क्षमता वाले वाहनों से गुजरने की ही छूट है, जबकि उच्च क्षमता वाले वाहनों को डायवर्शन के जरिए अन्य प्रांतों में भेजा जा रहा है. एक मार्ग मोहनिया के समीप से पहले डायवर्ट करते हुए सोनभद्र के रास्ते मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पूर्वी उत्तर प्रदेश में भेजा जा रहा है. इसके अलावा बक्सर के रास्ते गाजीपुर, गोरखपुर समेत अन्य जिलों में डायवर्शन के जरिए ओवरलोड ट्रकों को भेजा जा रहा है. यहां जो लोडिंग पैटर्न है उससे स्टील ब्रिज ही नहीं बल्कि बिहार और पूर्वांचल के सभी नदियों पर स्थापित किए गए ब्रिज पर टूटने का खतरा मंडरा रहा है.
 क्या कहते हैं एनएचआई  विभाग के पदाधिकारी नागेश सिंह टेक्निकल मैनेजर पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि ओवरलोडिंग एक गंभीर समस्या है. नेशनल हाईवे पर स्थित कर्मनाशा पुल के टूटने की मुख्य वजह ओवरलोडिंग ही सामने आई थी. यही नहीं एनएचआई के अधिकारी ने बताया कि देशभर के सभी पूल नेशनल हाईवे और प्रादेशिक पुल सभी की क्षमता 50 टन ही होती है. विषम परिस्थितियों में इसकी क्षमता 80 से 100 टन तक बनाई जाती है. जो कर्मनाशा नदी में बने स्टील ब्रिज पुल पर रात में ओवरलोडिंग ट्रकों को पार कराने की बात सामने आ रही है. इसकी जांच कर दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है.                   रिपोर्ट :संजय मल्होत्रा