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pnp फोटो: मुख्यमंत्री को भेजा गया ईमेल |
चकिया/ चन्दौली: जनपद में कोरोना महामारी में सरकारी इलाज ठीक ढंग से नहीं मिलने से लोगों को लगातार हो रही परेशानी को देखते हुए उन्हें होम क्वारन्टीन होने की इजाजत सरकार को दे देना चाहिए. वजह यहां न तो कोई सरकारी सुविधा मिल पा रही न ही समुचित इलाज हो पा रहा हैं. हर कोविड केन्द्र पर सरकारी सुविधाओं का अभाव दिखता है, इसलिए कोविड में होम कोरंटाइंन में घर पर ही समुचित इलाज की व्यवस्था की जाए. यह मांग आज चन्दौली जनपद में हर कोविड कोरंटाइंन केन्द्र की दुर्दशा की शिकायत मिलने के बाद आईपीएफ प्रवक्ता अजय राय ने उठायी है.
उन्होंने कहा कि योगी मॉडल पूरे तौर पर ध्वस्त हो गया है. यह स्थिति कोरोना महामारी में स्वास्थ्य के मोर्चे पर प्रदेश में दिख रही है. पूरे प्रदेश में जो हालात है उससे सरकार का इकबाल खत्म हो गया है. हर जगह स्वास्थ्य जैसी क्षेत्र में भी यह सरकार नकारा साबित हुई हैं. कोविड सेन्टर की व्यवस्था पर सवाल उठाने पर दमन तक किया जा रहा हैं.
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से निपटने में सरकार की नीति पूरी तौर पर से विफल साबित हुई है. हालत यह है की इस संकटकालीन समय में निचले स्तर के प्रशासनिक अधिकारी आपदा में भी भ्रष्टाचार के अवसर तलाश रहे. थर्मल स्कैनिंग लिए उपयोग होने वाले उपकरण में घोटाला सामने आया है. लोगों को इलाज की सुविधा नहीं मिल रही है और रेवसा कोविड सेंटर में ही लोगों की सुविधा नदारद की तस्वीरें सामने आ रही है. डाक्टर व पैरा मेडिकल स्टाफ सुरक्षा उपकरण के अभाव का रोना रो रहें हैं. नाकाम सरकारी व्यवस्था में लोगों को होम कोरंटाइन होने का अधिकार देने की जगह सरकार का जोर मुकदमा कायम करने पर है.
उन्होंने कहा की संवेदनहीनता की स्थिति यह है कि लोगों की जान बचाने व न्याय देने की जगह कोरोना महामारी की भयावह हालत में सरकार के चन्दौली प्रभारी मंत्री वर्चुअल रैलियां कर रहे हैं. इन रैलियों में की जा रही स्वत: सुखाय बयानबाजी और जमीनी हकीकत में जमीन आसमान का फर्क है. वास्तव में तो प्रदेश में कहीं भी ऐसा नहीं लग रहा है कि कोई सरकार काम कर रही है. यह समझ में नही आ रहा कि चन्दौली जनपद में जनप्रतिनिधियों की दि गयी निधि व दानदाताओं का दिया पैसा आखिर में कहां खर्च हो रहा हैं. चन्दौली जनपद में थर्मल स्कैनर खरीद का हेराफेरी सामने आया है. अगर सभी तरह के स्वास्थ्य संम्बधी खर्च व हाट स्पाट बनाने तथा लॉक डाउन के समय असहाय लोगों को खाना खिलाने की खर्च की जांच हो जाए तो और भी अनियमितता उजागर हो जाए.