UP-BIHAR बार्डर: कर्मनाशा नदी में 25 करोड़ का डायवर्सन बहा, 15 करोड़ के स्टील ब्रिज पर अब आई आफत

UP-BIHAR बार्डर: कर्मनाशा नदी में 25 करोड़ का डायवर्सन बहा, 15 करोड़ के स्टील ब्रिज पर अब आई आफत

pnp फोटो: कर्मनाशा नदी पर बना पूल
                                                             एनएचआई डायरेक्टर के मैनेजर नागेश कुमार ने कहा-स्टील ब्रिज बचाने को किया जा रहा मेहनत

दुर्गावती (कैमूर ): उत्तर प्रदेश- बिहार की सीमा पर कर्मनाशा नदी पर बने स्टील ब्रिज पुल पर खतरा मंडरा रहा है. कर्मनाशा नदी में 25 करोड़ रुपये के खर्च से बना डायवर्सन बह चुका है.                                                                                                      जबकि 15 करोड़ के स्टील ब्रिज पर अब आफत आने वाली है. इसे बचाने के प्रयास में एनएचआई विभाग के लोग जूटे हुए हैं.                                                                                                                 देश के राष्ट्रीय राजमार्ग-2 पर 28 दिसंबर 2019 को 10 वर्ष पहले से बने पुल के पाया टूट जाने के बाद गाड़ियों के आवागमन के लिए 25 करोड़ की लागत से पुल के दोनों तरफ डायवर्शन बनाया गया.
लेकिन बरसात आने की वजह से नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण डायवर्शन नदी में बह गया.
लेकिन उसी बीच सरकार ने आवागमन सुचारू रखने के लिए स्टील ब्रिज का निर्माण कराया ताकि माल वाहन मरीज,बस,विदेशी यात्री एक राज्य से दूसरे राज्य के लिए आने वालेआसानी से जा सके. 
                                                        इसके लिए 15 करोड़ की लागत से स्टील ब्रिज का निर्माण किया गया है. मगर स्थित यह है कि गिट्टी बालू सरिया जैसे ओवरलोडेड वाहनों के कारण स्टील ब्रिज के टूटने की संभावना लगातार बढ़ती जा रही है.                                                      यदि स्टील ब्रिज टूटता है तो दिल्ली से कोलकाता तथा अन्य राज्य से आना- जाना जनसंपर्क बंद होने का खतरा तय है. स्टील ब्रिज की देखरेख सही मायने में नहीं हुई तो बाहर दूसरे राज्यों से आने वाले खाद पदार्थ, कच्चे माल के अभाव में बिहार की जनता महंगाई से कराह उठेगी.                                                                                     पिछले तीन दिनों से जीटी रोड पर ओवरलोडेड वाहनों के कारण जाम का नजारा देखने को मिल रहा है.
pnp फोटो: एनएचआई के अधिकारी-कर्मचारी
                                                                   " इसस संबंध में एनएचआई के डायरेक्टर कर्नल योगेश गढ़वाल के 
मैनेजर नागेश कुमार बताते हैं कि स्टील ब्रिज को बचाने के लिए काफी परिश्रम किया जा रहा है.
और ओवरलोड वाहनों को स्टील ब्रिज पर नहीं जाने दिया जा रहा है. ओवरलोड वाहनों से बालू को उतरवाकर अंडर लोड कराया जा रहा है यानि पूल की क्षमता के हिसाब से 50 से 55 टन से अधिक के  ओवरलोडेड वाहनों पर रोक लगा दी गई है क्यूंकि इससे बहुत बड़ा खतरा है. वहीं विभाग के आला-अफसर यहां सासाराम व कैमूर के प्रशासन को बालू लोड ट्रकें रोड पर न आए, इसके लिए सूचना दे चुके हैं "
                                                          अब देखना यह है कि क्या बिहार सरकार और यहां के अधिकारी ओवरलोडेड वाहनों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा पाते हैं या 15 करोड़ की लागत से स्टील ब्रिज को ध्वस्त होने का खतरा और बढ़ ही जाता है,
 हालांकि ओवरलोड वाहनों से संबंधित कोरोना काल से ही जाम पर पक्ष-विपक्ष के राजनेताओं की बयानबाजी शुरू है.                                                                       यदि समय रहते इसका ख्याल सरकार और पदाधिकारियों के द्वारा नहीं किया गया तो यूपी सहित अन्य राज्यों से संपर्क टूट जा सकता है. यदि स्थिति बनीं तो भीषण संकट उत्पन्न हो जाएगा.                           Report-Sanjay Malhotra