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सीबीआई विशेष कोर्ट का बाबरी मस्जिद से सम्बंधित जो निर्णय आया है, आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट (आईपीएफ़) की नजर में फांसीवादी ताकतों का मनोबल बढ़ाने वाला साबित होगा।
●सीबीआई विशेष कोर्ट के फैसले पर आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने दिया बयान
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पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी |
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Edited By: Harvansh Patel
लखनऊ। आईपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी ने यहां जारी बयान में कहा है कि सीबीआई विशेष कोर्ट का बाबरी मस्जिद से सम्बंधित जो निर्णय आया है, वह आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट (आईपीएफ़) की नजर में बेहद दुर्भाग्यपूर्ण, जनतंत्रीय लोकतंत्र के लिए एक और धक्का और फांसीवादी ताकतों का मनोबल बढ़ाने वाला साबित होगा।
यह ज्ञातव्य हो कि मस्जिद गिराए जाने के पूर्व ही रथ यात्रा निकाल कर संघ-भाजपा परिवार ने बेहद साम्प्रदायिक माहौल बनाया था।
देश भर में यह लगने लगा था कि इस बार संघ से सम्बंधित गिरोह के लोग बाबरी मसिजद को गिरा देंगे और इसको गिराने में उत्तर प्रदेश की कल्याण सरकार पूरी तौर पर मदद्गार होगी।
यहाँ यह भी दर्ज करने लायक है कि आईपीएफ़, सीपीएम, सीपीआई, और वी पी सिंह की अगुवाई वाला जनता दल ने दिसंबर, 1992 के प्रथम सप्ताह में लखनऊ में बैठक करके उत्तर प्रदेश सरकार को लिखा था कि बाबरी मस्जिद को गिरा देने की पूरी साजिश उत्तर प्रदेश सरकार के सक्रिय सहयोग से चल रही है और यदि उचित सुरक्षा की व्यवस्था नहीं की गयी तो निश्चय ही बाबरी मस्जिद गिरा दी जाएगी.
इसी अनुक्रम में 5 दिसंबर,1992 को सभी लोकतान्त्रिक, धर्मनिरपेक्ष और वाम ताकतों से अपील की गयी थी कि वे लखनऊ पहुंचें और 5 दिसंबर को चारबाग से अयोध्या कूच करें। जिससे कि शांति और सम्प्रदायक सद्भाव वाला वातावरण बनाया जाए और कथित कारसेवकों के हमले से बाबरी मसिजद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र की रक्षा हो सके।
तय कार्यक्रम के अनुसार चारबाग से अयोध्या के लिए मार्च किया गया. कल्याण सरकार ने पूर्व प्रधान मंत्री वीपी सिंह, आईपीऍफ़ राष्ट्रीय महासचिव अखिलेन्द्र प्रताप सिंह, सीपीआई नेता पूर्व केन्द्रीय मंत्री चतुतानन मिश्र, सीपीएम राष्ट्रीय नेता प्रकाश करात सहित सैंकड़ों नेता और कार्यकर्ताओं को बाराबंकी राम स्नेही घाट पर गिरफ्तार कर लिया था।
यह भी बता दें कि बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के हज़ारों लोगों के जत्थे ने चारबाग स्टेशन पर जमे आईपीऍफ़ कार्यकर्ताओं के ऊपर हिंसक हमला किया था जिसे कार्यकर्ताओं ने बड़ी दिलेरी और सूझबूझ से विफल कर दिया था।
तात्पर्य यह है कि बाबरी मसिजद अनायास नहीं गिरा दी गयी थी और इसके पीछे की गहरी साजिश पर पर्दा डालना लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं है.
आईपीएफ़ का यह राष्ट्रीय प्रस्ताव सीबीआई से यह मांग करती है कि सीबीआई उच्चतर न्यायालय में पूरे साक्ष्य के साथ अपील करे जिससे लोकतंत्र को नुकसान पहुँचाने वाले गुनाहगारों को सजा मिले ताकि न्याय हो सके।