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किसानों को इस समय धान की फसल में लगने वाले रोग से बचाव की जरूरत है. मौसम साफ होते ही आवश्यक दवाओं का छिड़काव करें.
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फोटो:सोशल मीडिया |
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चन्दौली: कृषि विज्ञान केन्द्र के मौसम वैज्ञानिक कृष्ण मुरारी पाण्डेय ने कहा कि इस समय किसानों को धान के तना छेदक, झुलसा व उर्द, मूंग को पिला चित्तवर्ण रोग से बचाव करना बहुत जरूरी है. किसान झुलसे रोग से बचाव के लिए आवश्यक दवाओं का छिड़काव करें.
अगले सप्ताह मौसम परिवर्तन होने की पूरी संभावना
भारत मौसम विज्ञान द्वारा प्राप्त मौसम पूर्वानुमान आंकड़ों के अनुसार आगामी सप्ताह में वर्षा होने के साथ ही साथ हल्के बादल रहने के आसार है.
औसत अधिकतम तापमान 31.0 से 33.0 डिग्री सेंटीग्रेड के मध्य, न्यूनतम तापमान 24.0 से 26.0 डिग्री सेंटीग्रेड के मध्य एवं आर्द्रता 85 से 90 % के मध्य तथा सामान्य से मध्यम गति से अधिकतर पश्चिम-दक्षिण दिशा की ओर हवा चलने की संभावना है.
किसान झुलसा रोग से धान को ऐसे बचाएं
किसान भाइयों को सलाह है कि धान के जीवाणु झुलसा रोग के नियंत्रण हेतु स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट 90 प्रतिशत + टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 10 प्रतिशत @ 15 ग्राम अथवा कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्लू. पी. @ 500 ग्राम को 400-500 लीटर पानी के साथ मौसम साफ़ होने पर छिडकाव करें.
इस समय धान की खेत में तना छेदक रोग लगने की पूरी संभावना होती है. इसके नियंत्रण हेतु क्लोरपाइरीफास 20% ई.सी. @ 1.5 लीटर प्रति हेक्टर की दर से 500-600 लीटर पानी के साथ मौसम साफ़ होने पर छिडकाव करें.
उर्द की फसल पर लगेगा पिला चित्त वर्ण रोग
वहीं, किसान भाई यह भी समझे कि उर्द की फसल में पिला चित्त्त वर्ण रोग के नियंत्रण हेतु डाइमेथोएट 30% ई.सी. @ 1 ली. हेक्टर की दर से 600-700 लीटर पानी के साथ मौसम साफ़ होने पर छिडकाव करें, ताकि वे अपनी फसल को बचा सकें.
इधर, मूंग की खेती करने वाले किसान भाइयों को सलाह है की मूंग की फसल में पिला चित्त्त वर्ण रोग के नियंत्रण हेतु डाइमेथोएट 30% ई.सी. @ 1ली. हेक्टर की दर से 600-700 लीटर पानी के साथ मौसम साफ़ होने पर छिड़काव बहुत जरूरी है.