पूर्वी उत्तर प्रदेश पूर्वांचल क्यों पिछड़ता गया!

पूर्वी उत्तर प्रदेश पूर्वांचल क्यों पिछड़ता गया!

 पूर्वांचल मांगे अपना राज्य: एपिसोड-1

सांकेतिक तस्वीर



 ●Purvancha News In Hindi

देश को सर्वाधिक प्रधानमंत्री देने वाला पूर्वी उत्तर प्रदेश देश यह इलाका पिछड़ा ही रह गया. ऐसा तब है जब कुदरत ने इस इलाके को वो सब कुछ दिया है जिसके बिना पर यह खुद अपने संसाधनों पर विकास कर सकता है. 

यह इलाका पूर्वांचल विकास की दृष्टि में देश में पहले नंबर पर आ सकता है. सभी प्राकृतिक संसाधन इस इलाके में मौजूद है, चाहे नदियों की बात की जाए या खनिज पदार्थों की, प्राकृतिक सौंदर्यता की बात की जाए या इतिहास और संस्कृति की. 

शिक्षा की बात की जाए या धर्म -परंपरा की. सब कुछ इस इलाके की मिट्टी में रचा बसा है, लेकिन हाल यह है कि यह इलाका सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से सबसे पिछड़ा है. देश ही नहीं पूरी दुनिया को बेशकीमती नगीना मुहैया करने वाले पूर्वांचल का पारंपरिक रोजगार तहस-नहस होत जा रहा है.

 आम आदमी पार्टी के संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जब उत्तर प्रदेश के बंटवारे की चर्चा छेड़ी है तो यह मुद्दा कुछ राजनीतिक हलकों में गर्मा गया था, जब मायावती ने उत्तर प्रदेश की पूर्वांचल सहित अन्य चार राज्य बनाने की बात तो तब भी उम्मीद जागी थी कि अब सब कुछ बदल जायेगा. मगर सब ठंडे बस्ते में चला गया. 

जब कांग्रेस ने 27 साल यूपी बदहाल का नारा लगाया था, तब उस समय खासकर यूपी के लिए भेजी गई दिल्ली की पूर्वं मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने पूर्वांचल राज्य के गठन की बात की थी. रालोद व अन्य सैकडों संगठन ऐसे हैं जो पूर्वांचल की बात उठा रहे हैं मगर शासन सत्ता के दबाव में यह आंदोलन आगे नहीं बढ़ पा रहा है.

शासन व प्रशासन द्वारा विकास के लाख दावे के बीच आज तक सभी सिर्फ बात करते रहे और आज यूपी में उन मजदूरों की हालत नहीं सुधरी जिसे प्रवासी कहा गया. एक भी उद्योग धंधे नहीं लगे जिससे पलायन रुक सके. गन्ना मिलें भी किसानों के लिए फायदेमंद साबित नहीं हुआ. 

गांवों में आज भी बिजली की समस्या से लोगों को छुटकारा नहीं मिला.नहरों के लिए किसान धरना प्रदर्शन को मजबूर हैं. नहरों की सफाई नहीं होने से टेल तक पानी नहीं पहुंच रहे हैं. यूपी के विकास में पूर्वांचल के दर्जनों जनपदों की आमदनी आज भी औसत माध्य से कम है. बीते साल नीति आयोग की रिपोर्ट में भी पूर्वांचल का विकास पिछड़ा आया.

आलम यह रहा कि यहां पूर्वांचल से यूपी की राजधानी 300 से 400 किलोमीटर दूर रहने की वजह से लोगों की बदहाली कम नहीं हो पा रही है. सतही तौर पर ही योजनाओं का क्रियान्वयन हो पा रहा है. यहां के जनप्रतिनिधि संसद व  विधानसभा में अपने जनपद की बदहाली नहीं उठा पाते हैं. आखिर कब बदलेंगी पूर्वांचल की तस्वीर, कौन बनेगा मसीहा. यह बड़ा सवाल अब पुर्वांचलियों के जेहन में घूम रहा है.

 पूर्वांचल राज्य जनमोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरवंश पूर्वांचली कहते हैं कि 74 सालों से पूर्वांचल के लोग बदहाली से जूझ रहे हैं. पूर्वांचल से ही पीएम व सीएम जी लोग हैं. ऐसे में यहां के लोगों को उनसे काफी उम्मीदें है.भाजपा छोटे राज्यों के गठन की हितैषी भी है. जब पूर्वं प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी बाजपेयी जी लोगों की भावनाओं को समझते हुए 15 दिन में तीन राज्यों का गठन कर कसते हैं तो पूर्वांचल को भी राज्य का दर्जा क्यों नहीं मिल सकता है?.