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●गरीबों के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए अंतिम दम तक लड़ेंगे: अजय राय
बैठक में वक्ताओं ने कहा कि यह सरकार दो से अधिक बच्चे और शैक्षणिक योग्यता शर्त लगाकर वह बहुत बड़ी आबादी को चुनाव लड़ने से रोकना चाहती है. इसका पहला शिकार दलित,आदिवासी,अति,पिछड़े,अल्पसंख्यक और महिलाएं होंगे, क्योंकि आम तौर पर अपनी गरीबी के कारण इन तबकों में शैक्षणिक स्तर कम रहता है और पिछड़ेपन के कारण बच्चे भी ज्यादा रहते हैं.
अब सवाल यह है कि भारत में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री,राज्यपाल,मुख्यमंत्री, विधायक, सांसदों के लिए कोई शैक्षणिक योग्यता नहीं है और ना ही उनके लिए ऐसी कोई पाबंदी है.
लेकिन जमीनी स्तर पर लोकतंत्र की मजबूत कड़ी पंचायत में इसे लाया जा रहा है. यह भी खबर है कि जिला पंचायत के लिए कक्षा 12, क्षेत्र पंचायत के लिए कक्षा 10 और प्रधान के लिए कक्षा 8 की योग्यता रखी जा रही है.
आश्चर्य तो तब होता है जब हरियाणा में आरएसएस-भाजपा की सरकार ने इस तरह का प्रयोग किया था, जिसे हाईकोर्ट ने अवैधानिक मानते हुए खारिज कर दिया.
इसलिए इसके खिलाफ प्रदेश स्तरीय चौतरफा पहल की जरूरत है और ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने इस विरोध की शुरुआत कर दी है. जिसे सड़क से लेकर न्यायालय तक लडा जायेगा.
वेविनार बैठक में उत्तर प्रदेश के कई लोग शिरकत किएउपस्थिति में पूर्व आई जी एस आर दारा पुरी, बर्कस फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर, युवा मंच के राजेश सचान , प्रधान चंद्रदेव गोड़, पूर्व प्रधान डाक्टर रामकुमार राय, बोदलपुर के प्रधान प्रदीप बनवासी, मजदूर किसान मंच के प्रदेश महासचिव बृज बिहारी, प्रभारी अजय राय, आई पी एफ की नेत्री सुनीता रावत, कांता कोल, आलोक राय, सहित कई प्रधान , आदिवासी नेता शामिल रहें.
रिपोर्ट: भूपेंद्र कुमार, ब्यूरो चीफ चन्दौली