
कॉमेडी कविता:
एक महिला अपने पति से हंसी ठिठोली करती तो उसका
पति बोला
कहाँ शादी कर ली फंस गये आज़ाद घूमते फिरते थे अब टेंशन बढ़ गयी
पत्नी से बोला ऐसा करो तुम अपने घर जाओ मैं पुराने समय में लौट जाता हूँ
पत्नी बोली कि
जब तुम हज़ार लोगों की लाये थे बारात
तब सारे नाचे कूदे धूम मचाये थे रात रात
जब सुबह को ले रहे थे फेरे तब सोच में डूबे थे माँ बाप
छाती पे मूंग दलो चाहें होरा भूनों जाके ससुराल
तो पति बोला अगर जाओगी तो कहाँ जाओगी
पत्नी बोली जाना तो कहीं नहीं, पर हां-जहाँ पर तुम काम करते हो ठीक बिलकुल उसके सामने पान का खोखा लगायेंगे
पति तो तुमको पान बेंचना भी आता है कैसे बेचोगी
पत्नी बोली
उठाऊंगी पान का पत्ता
उसमें लगाऊंगी चूना कत्था
गाये गाये के बनाऊंगी
और प्यार से खिलाऊंगी
जो ना खाते हो वो भी
मेरा पान खाने को आयेंगे
अपने प्यारे बीबी बच्चों के
लिये घर में भी ले जायेंगे
खाकर मेरा पान अपने
यारों को भी लायेंगे
अपनी तबियत का बखान
खुद के लफ़्ज़ों से बतायेंगे
ऐसे ही हर रोज़ हमारे
पान सब बिक जायेंगे
पति डर गया कि ये तो मेरी गुरु मालूम होती है.
Source: सरिता कटियार, लखनऊ.