Chandauli: ये हाल शिक्षा विभाग का, बच्चों से मजदूरी, बीएसए ने कहा, पहले जांच फिर कार्रवाई

Chandauli: ये हाल शिक्षा विभाग का, बच्चों से मजदूरी, बीएसए ने कहा, पहले जांच फिर कार्रवाई

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पूर्वांचल/शहाबगंज(चन्दौली): पढ़ने वाले बच्चों की किताबें ही करीबी साथी होती हैं. स्कूल जाने से लेकर रात को सोने तक. बैग व उसके तकिया के नीचे किताबे रखीं मिल जाएंगी. मगर जब कोई गुरु खुद किताबों के लिए उस बच्चे को मजदूर बना दे तो, उस टीचर को क्या कहेंगे, बस यह एक उसकी शरारत पूर्ण गलती है अथवा सरकारी बोझ तले दबे काम की वजह. 


कुछ ऐसा ही नजर शहाबगंज कस्बा स्थित पाठशाला में मिला. हुआ यूं कि बच्चों को वितरण करने के लिए किताबें शहाबगंज प्राथमिक विद्यालय के गोदाम में रखी गई है, जहाँ से सभी विद्यालय के प्रधानचार्य या शिक्षक पहुंच कर उन किताबों में से जरूरत के अनुरूप अपने विद्यालय पर ले जाते हैं.

 पूर्व माद्यमिक विद्यालय बनरसिया में पड़ने वाले कक्षा 7 के छात्र सन्दीप कुमार और विकास कुमार को पूर्व माध्यमिक विद्यालय बनरसिया के प्रधानाध्यापक होशिला पांडेय द्वारा covid-19 के भीषण महामारी के बीच छोटे नाबालिग बच्चों को बगैर मास्क के ही प्राथमिक विद्यालय शहाबगंज में रखीं गई सरकारी किताब के गोदाम पर ले आए और बच्चों से गोदाम में रखी हुई किताबों को की ढुलाई करा कर बाहर में खड़ी टोटो गाड़ी पर लदवाया .


बच्चे भीषण गर्मी धूप में बगैर मास्क और गमछे के ही किताबों का बंडल सर पर उठाकर टोटो के ऊपर लाद रहे थे. 

जब इस बारे में प्रधानाध्यापक होशिला पांडेय से पूछा गया कि बच्चों से किताब के बंडलों को क्यों मजदूरों की तरह ढुलाई का कार्य कराया जा रहा है तब प्रधानाध्यापक ने इस बात को नजरअंदाज करते हुए कोई जवाब नहीं दिया. 

 बच्चों से पूछने पर बच्चों के द्वारा बताया गया कि पूर्व माध्यमिक विद्यालय बनरसिया के कक्षा 7 के छात्र हैं, वहीं जब इस बात की जानकारी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी भोलेंद्र प्रताप से मोबाइल पर पत्रकारों को बताया कि प्रधानाध्यापक के विरुद्ध इस कृत्य के लिए जांच कर कार्रवाई की जाएगी. 

अजीब हाल तो यह है कि इस तरह की हरकत सोशल मीडिया पर देखे जाने बाद भी जनपद के अधिकारी खामोश दिखे. 

Source: भूपेन्द्र कुमार