चुनाव आते ही शुरू हो जाते हैं फौरी वादे....

चुनाव आते ही शुरू हो जाते हैं फौरी वादे....

युवा पूर्वांचल हल्ला-बोल: एपिसोड-1


लोगों को यह कहते देर नहीं लगती है कि युवा भटक गया है ना तो उसे समाज की चिंता है ना है उसे देश की, मगर क्या यही सही है? सच तो यह है कि युवकों की चिंता देश की बागडोर संभालने नेताओं को नहीं है, जो अपने लिए जिंदाबाद के नारे लगवाते हुए उनका गला बैठा देते हैं.

 कुछ चंद सुख-सुविधाओं का सपना दिखाकर इस देश का नेता युवा पीढ़ी को अपने राजनीतिक जाल में फंसाकर खुद के सत्ता सुख के लिए दरबारी बना कर रख दिया है. इसमें तनिक अपवाद भी हो सकता है.

आज न तो उसने सामने रोजगार है ना उनके आगे नौकरी के अवसर. जब युवा यह  सवाल उठाता है तो उसके ऊपर लाठियां बरसाई जाती हैं. फिर चुनाव आते ही है शुरू हो जाते हैं फौरी वादे.

 ऐसे में हम यह बताना उचित नहीं समझते कि केंद्र और राज्य सरकार ने कितनी को नौकरी दी और कितनों ने अपना व्यापार प्रारंभ किये हैं. 

इसी मुद्दे पर आज से यह एपिसोड शुरू हो रहा है.

 युवा पूर्वांचल हल्ला बोल के पहले एपिसोड की शुरुआत के साथ आज युवा क्या सोचता है ?. और क्या करना चाहता है ?.

इनसे की गई फोन पर बेबाक बातचीत आगे पढ़ें:

 


चन्दौली जनपद की स्नेहा राय कहती हैं कि पांच साल तक सरकारी भर्तियों में कर्मचारियों को संविदा पर रखने के योगी सरकार का फैसला गलत हैं. केंद्र सरकार द्वारा किये जा रहे अंधाधुंध निजीकरण और नई पेंशन स्कीम का विरोध,  रोजगार व विकास की गारंटी, रिक्त 24 लाख पदों को शीघ्र भरने, बेकारी भत्ता समेत नौजवानों के सवालों की लड़ाई करनी होगी. जनप्रतिनिधि संसद में यह सवाल उठाये, वे क्यों चुप्प हैं.



वाराणसी में बीएचयू से पढ़ाई कर रहे रेशव शर्मा कहते
हैं कि युवकों के भटकाव के कारण पढ़ने लिखने के बाद उनके रोजगार की गारंटी ना होना है. जब तक युवा वर्ग को पढ़ाई के बाद उनके जीविकोपार्जन की गारंटी की नीति नहीं बनेगी तो उसका कोई मतलब नहीं है. 

अब शिक्षा भी महंगी होती जा रहे हैं. पूर्वांचल की दुर्दशा ने तो पढ़े-लिखे नौजवानों को दिल्ली, मुंबई बैंगलोर जाने को मजबूर कर दिया है.अच्छे पढ़े लिखे नौजवान यहां से पलायन कर दूसरे राज्यों में मजदूरी करने को बाध्य हैं.

गाजीपुर के संजय पटेल बताते हैं कि भले ही सरकार रोजगार के लिए बैंकों से कर्ज देने की बात करें, मगर बैंकों को उन्हें कर्ज देते हैं, जिनकी क्रेडिट अच्छी होती है. नए लोगों को कर्ज देने से इनकार कर देते हैं. ऊपर से बैंकों में दलालों का बोलबाला है. वही जिसे चाहते हैं उन्हें ही कर्ज मिलता है

भले ही वे कई बार बैंक से कर्ज लें. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में मनमाने ढंग से कि बैंकों को छूट दिए जाने से बेरोजगार युवा परेशान है. आलम यह है कि उसकी एनपीए रफ्तार भी बढ़ती जा रही है.

आज पूर्वांचल का युवा परेशान है उसको दो जून की रोटी का इंतजाम करने के लिए घर परिवार को छोड़कर पलायन करना मजबूरी है उसकी.


यूपी बिहार बार्डर सैयदराजा के आर बी रावत कहते हैं कि युवा वर्ग कुछ करना चाहता है मगर वह करें तो क्या करें. सरकार रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने से डरती है, उसे डर है कि युवाओं को इस गारंटी के बाद हम नौकरी-रोजगार कहां से देंगे. 

मोदी सरकार को युवकों को कर्जदार बनाने की जगह रोजगार के स्थाई हल पर विचार करना चाहिए. सरकार की मदद से फ्री में अनाज है, कुछ नगदी मिल भी जाए तो इससे युवा वर्ग कितने दिन अपना पेट भर पायेगा. 

जरूरत है पूर्वांचल में स्थाई रोजगार का. ताकि लोग अपनी बदहाली दूर कर सकें. केंद्र सरकार युवकों के लिए योजनाओं को चलाती है मगर यह भूल जाती है कि यह योजना उनके पास तक पहुंची कि नहीं.यह भी सबसे बड़ी कमी दिखती है. 


लखनऊ से अनुराग श्रीवास्तव कहते
 हैं कि रोजगार के सवाल से युवा वर्ग जो जूझ रहा है अब सरकारी नौकरियां खत्म हो रही हैं .अब तो यह कहा जा रहा है कि पहले संविदा पर नौकरी करनी होगी. 

मतलब ऐसे युवाओं की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं है तो और क्या है?. इस समय लखनऊ के बख्शी तालाब के एक संस्था से आईटीआई फिटर से कर रहा हूं, जब रेलवे व अन्य क्षेत्रों में नौकरियां ही नहीं होंगी तो इस पढ़ाई क्या मतलब है. 

आखिर पूर्वांचल के युवकों से सरकार क्या चाहती है, सिर्फ भूखे पेट रहकर नेताओं की सोशल मीडिया पर कमेंट और लाइक शेयर बाजी करते रहे यह युवा वर्ग.

स्रोत रिपोर्ट: हरवंश पटेल व अन्य सहयोगी साथी टीम