बंध्याकरण के बाद महिला हुई 4 माह की गर्भवती, सरकार से लगाई जांच की गुहार

बंध्याकरण के बाद महिला हुई 4 माह की गर्भवती, सरकार से लगाई जांच की गुहार

 


Hindi Samachar- बिहार

एक अजीब मामला सामने आया है, जहां बंध्याकरण के बाद तीन साल बाद एक महिला बंध्याकरण के कारण 4 माह की गर्भवती हो गई, उसने सरकार से जांच की गुहार लगाई है।

जांच की गुहार लगाती महिला

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Edited By- संजय मल्होत्र

दुर्गावती ( कैमूर )। एक अजीब मामला सामने आया है, जहां बंध्याकरण के बाद एक महिला गर्भवती हुई है, ऐसेे में विभाग के ऊपर कई तरह के सवाल खड़ा कर रहा है। एक महिला बंध्याकरण के बाद 4 माह की गर्भवती हो गई, उसने सरकार से जांच की गुहार लगाई है।

 सरकारी योजना के अनुसार एक महिला का ऑपरेशन 3 वर्ष पहले दुर्गावती प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में महिला का बंध्याकरण कर दिया गया था लेकिन महिला गर्भ धारण कर चुकी है। 

जब महिला को यह पता चला कि मेरे पेट में बच्चे जैसा हलचल मिल रहा है तो तुरंत महिला अल्ट्रासाउंड केंद्र पहुंची, जहां जांच के बाद महिला के पेट में अल्ट्रासाउंड के माध्यम से 4 महीने का बच्चे होने की पुष्टि हुई हैं।

जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकारी हर साल करोड़ों रुपए खर्च करती है, यही नहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर साल में कई मर्तबा बंध्याकरण शिविर भी लगाया जाता है। साथ ही बंध्याकरण कराने वाली महिलाओं को प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है।

बता दें कि थाना क्षेत्र के ग्राम खजुरा निवासी संदीप कुमार की पत्नी आरती देवी अपने कमजोरी को देखते हुए अपने दो बच्चों को जन्म देने के बाद अपने परिवार को सीमित रखने के उद्देश्य से सरकार के द्वारा चलाए जा रहे बंध्याकरण योजना के तहत अपना परिवार सीमित रखने का फैसला किया था।

 उक्त महिला ने 3 वर्ष पूर्व दुर्गावती के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचकर कुशल चिकित्सकों की देखरेख में बंध्याकरण करवाया लेकिन ऑपरेशन सफल नहीं रहने के कारण , पुनः बच्चा होने का अल्ट्रासाउंड में पुष्टि हुई है ।

 विचारणीय विषय यह है कि कुशल डॉक्टरों के होते हुए भी बंध्याकरण की जगह पेट के अंदर कौन सी जगह की नसों को काट और बच्चों के बंद करने की नसों को छोड़ दिया गया। 

यदि ऐसे ही और अकुशल डॉक्टर किसी भी महिला के पेट का बंध्याकरण के नाम पर खोलते हैं तो दूसरी भी अनहोनी घटनाएं हो सकती हैं इसलिए आरती देवी ने सरकार से गुहार लगाई है कि ऐसे प्रशिक्षित डाक्टरों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए,

 ताकि किसी का पेट फाड़ देना और समुचित इलाज से वंचित रह जाना की पुनरावृति इन डॉक्टरों द्वारा ना हो सके।

 इस संबंध में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दुर्गावती के चिकित्सा पदाधिकारी शांति कुमार मांझी से पूछे जाने पर उन्होंने कुछ जवाब नहीं दिया और बाद में भी जवाब देने से कतरा रहे हैं।