आखिरकार ! डॉक्टर बनकर दिखा ही दिया दीपक ने

आखिरकार ! डॉक्टर बनकर दिखा ही दिया दीपक ने

 Hindi Samachar-चन्दौली

"कोई काम छोटा बड़ा नहीं होता, समर्पण से करें तो आड़े वक्त सहारा बनता है। यदि इसमें हौसला जोड़ दे तो कई और का सहारा बन जाता है। " यह कहावत उन पर सटीक बैठ रही है, जो अपने माता-पिता को खोने के बाद भी चिकित्सक बनने का सपना अधूरा नहीं छोड़ सका।


Purvanchal News Print

चंदौली। "कोई काम छोटा बड़ा नहीं होता, समर्पण से करे तो आड़े वक्त सहारा बनता है। यदि इसमें हौसला जोड़ दे तो कई और का सहारा बन जाता है। " यह कहावत उन पर सटीक बैठ रही है, जो अपने माता-पिता को खोने के बाद भी चिकित्सक बनने का सपना अधूरा नहीं छोड़ सका। आखिरकार डॉक्टर बनकर दीपक चौहान ने यह साबित कर दिया।

गरीबी में पले बढ़े संघति गांव निवासी मजदूर बाबूलाल चौहान का पुत्र डॉक्टर दीपक चौहान के पिता के पिता बाबूलाल व माता कलावती की मौत बचपन में होने के बाद भी भाई कृष्ण कुमार सहारा बन गया। 


इन्होंने राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज गाजीपुर से बीएचएमएस की डिग्री हासिल कर ताराजीवनपुर में मां कलावती देवी होम्योपैथिक चिकित्सालय के नाम से एक छोटा सा क्लीनिक खोलकर गरीबों की सेवा करने का काम कर रहे हैं।

 जिसका उद्घाटन पिछले दिनों प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ विजेंद्र प्रताप सिंह ने किया। डॉक्टर डी एल चौहान, डॉ मनोज कुमार ,डॉ विजय पाल ,डॉक्टर रामाश्रय, डॉक्टर प्रांजल, डॉ प्रशांत आदि लोगों ने इनकी काबिलियत की काफी प्रशंसा की।