Hindi Samachar-उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए अभी तक कई अधिकारियों को निलंबन की सजा दी है। शिकायत मिलने पर दो सीनियर आईपीएस अधिकारी गुरदीप सिंह व राजीव शर्मा को राजस्व परिषद से हटाकर प्रतीक्षारत कर दिया है।
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मुख्यमंत्री योगी, फ़ाइल फोटो |
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Edited By- Harvansh Patel
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए अभी तक कई अधिकारियों को निलंबन की सजा दी है।
इसी क्रम में मंगलवार को भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने पर दो सीनियर आईपीएस अधिकारी गुरदीप सिंह व राजीव शर्मा को राजस्व परिषद से हटाकर प्रतीक्षारत कर दिया है। योगी की इस ताबड़तोड़ निलंबन की कार्रवाई से अधिकारियों में दहशत का माहौल व्याप्त हो गया है।
ज्ञातव्य हो कि मुख्यमंत्री योगी ने मार्च 2017 से सत्ता संभाली है। उन्हें किसी माध्यम से तनिक भी भ्रष्टाचार की भनक मिलती है तो उनके कान खड़े हो जाते हैं और कितना भी बड़ा सीनियर अधिकारी क्यों न हो, उसे छोड़ते नहीं है। मुख्यमंत्री योगी ने अब तक भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों के चलते छह आईपीएस अधिकारियों जिनमें चार तो डीएम पद पर तैनात थे उन्हें सस्पेंड किया। यही नहीं अभी तक 14 आईपीएस अधिकारियों को भी निलंबित कर चुके हैं
खबर है कि जनपद में सरकारी अनाज के बंदर बांट के आरईपी में जितेंद्र सिंह को डीएम गोंडा के रहते हुए में निलंबित किया गया था। कुमार प्रशांत को फतेहपुर डीएम होते हुए जून 2018 में निलंबित किया गया था, इन पर सरकारी गेहूं खरीद में धांधली का आरोप था।
देवेंद्र कुमार पांडे को उन्नाव में डीएम रहते इसी साल फरवरी में सस्पेंड किया गया था। इन पर बेसिक शिक्षा विभाग में खरीद में वित्तीय अनियमितता के आरोप लगे थे। अमरनाथ उपाध्याय को डीएम महाराजगंज रहते हुए निलंबित किया गया था।
उन पर डीएम रहते हुए गौ संरक्षण केंद्रों के बजट में धांधली के आरोप लगे थे। इसी तरह केदारनाथ सिंह 2012 में पीसीएस से आईएएस बने उन्हें पिछले साल मई में सस्पेंड किया गया था।
ऐसी तरह शारदा सिंह को चकबंदी अधिकारी रहते हुए योगी सरकार ने निलंबित किया था। आरोप यह था कि ओबीसी की भर्ती नहीं कि थी। योगी सरकार द्वारा लगातार की जा रही कार्रवाई से अधिकारियों में भय व्याप्त हो गया है।