Hindi Samachar/ राजनीति
ये कैसा जनादेश रहा या फिर इसे जनादेश माना ही ना जाए। आखिर यह किस प्रकार के दोहरा चरित्र से लबरेज़ जनादेश था। जहां रामगढ का कोई व्यक्ति ऐसा नहीं था, जिसने अम्बिका यादव की तारीफ ना की हो।
Purvanchal News Print
दुर्गावती ( कैमूर )। ये कैसा जनादेश रहा या फिर इसे जनादेश माना ही ना जाए आखिर यह किस प्रकार के दोहरा चरित्र से लबरेज़ जनादेश था। जहां रामगढ का कोई व्यक्ति ऐसा नहीं था। जिसने अम्बिका यादव की तारीफ ना की हो उनके जीत की मंगलकामनाएं ना की हो पर ये परिणाम आते ही स्तब्ध होने वाली स्थिति दिखी।
कैमूर जनपद के समाजसेवी राजेश प्रजापति कहते हैं कि इसे कैसा जनादेश कहा जाए जिसके दिल और दिमाग दोनों प्रतिकूल निर्णय के भंवरजाल में फंसा हो। हालांकि, सत्य हारता नहीं क्योंकि वह शाश्वत होता है।
आगे कहते हैं कि आज हार तो रामगढ का जनादेश गया, बच्चों का राजनीतिक भविष्य गर्त में गया रामगढ का चरित्र धूमिल हो गया। अब पूरा बिहार रामगढ के जनादेश को विश्वासघाती कहेगा।
श्री प्रजापति आरोप लगता हैं कि चुनाव आयोग ने अम्बिका जी के पीठ में चाकू तो घोंपा है। साथ ही साथ अपने छवि से भी गद्दारी की है। चुनाव तो आते जाते रहेंगे । जीत-हार का सिलसिला अनवरत जारी ही रहने वाला है, पर सोचो ज़रा भ्रष्ट अधिकारियों एवं सामन्तवादियों। ये जो विश्वास और लोकतंत्र की हत्या है। चुनाव आयोग अब उस विश्वास को जीवित कैसे करेगा।
श्री प्रजापति कहते हैं कि अब आगे से कौन ऐसा रहनुमा आएगा जो अम्बिका यादव के ईमानदार छवि एवं उन्मुखि दृष्टि के उपरांत उनकी हार देखकर लोगों के हित और विकास का कार्य करेगा।
क्योंकि मेरा खुद का आंकलन है अम्बिका जी के नाम पर जिले के साथ-साथ पूरे रामगढ में कहीं भी रिएक्शन नहीं था सभी के दिलों में बसते थे। पर ये क्या ये कैसी धोखा अम्बिका के साथ हुआ । आखिर कैसे ज़मीर गवाही दे दिया इतना बड़ा विश्वासघात करने के लिए। मैं कल शाम से ही स्तब्ध हूँ , हैरान हूँ आवेशित हूँ।
निष्कर्ष तो यही कहता है कि अम्बिका यादव अपना सर कलम कर के भी सामन्तवादियों के नाम कर देते तो यहाँ के एहसानफरामोश नेता उन्हें महत्व नहीं देता जिसका प्रमाण है कि आरजेडी से टिकट कटना रामगढ की जनता आपने जनादेश तो दिया और हम लोग उसको सह्रदय स्वीकार भी करते हैं।
श्री प्रजापति की मानें तो रामगढ की अस्मिता से लेकर स्वाभिमान तक जिसने अपने खून पसीने से सींच सींच पर मजबूत किया, आज उस धरती के साथ नमक हरानी चुनाव आयोग कर दिया है।
क्या कभी रामगढ़ सोचा था कि वह नया रामगढ़ बनने के पथ पर अग्रसर है। वर्षों बाद आया था एक शानदार व्यक्तित्व का धनी अंबिका यादव के रूप में जिसने दो कदम मजबूती से चलकर राजनीतिक शुचिता के साथ- साथ रामगढ़ के विकास को मजबूती से स्थापित करना चाहा, पर ऐतिहासिक पहल करने लगा है।
उन सभी को चुनाव आयोग लानत है, तुम्हारी मानसिकता पर जो बेहतर किया। उसके साथ कदम नहीं मिलाएं जब योग्यता ही कद्र नहीं जानते हो तो योग्य क्या चयन कैसे करोगे तुम अंबिका बाबू हार आपकी नहीं हुई है हार तो रामगढ़ की जनता गई है।
सत्य की पराजय है सच्चाई को कैद करने का असफल दुस्साहस किया गया है। रामगढ़ का शांति दूत बने कृष्ण को दुर्योधन रूपी शापित व्यक्तियों द्वारा कैद करने का असफल प्रयास किया गया है पर दुर्योधन ए भूल गया जो समूचा ब्रम्हांड है उसे कैद करने के लिए इतनी बड़ी रस्सी कहां से लाएगा।
अंबिका जी आप हारे ही नहीं है आप तो उनके भी दिलो-दिमाग में अभी भी हैं जिन्होंने साड़ी और शराब के बदले अपना जमीर बेच दिया आप उनके नजरों में हीरो आज भी हैं जिन्होंने आपका शुभचिंतक बनकर आपको ठगा है।
आप उनके नजरों में भी हीरो हैं जिन्होंने आप को जाति के बंदिशों में कैद कर बदनाम करना चाहा मुंह पर वह भले कुछ कह दे पर दिल उनका भी गवाही नहीं दे रहा है। वाह रे! दोहरे चरित्र और चुनाव आयोग ने किया लोकतंत्र की हत्या का चर्चा पूरे बिहार में हो रही है। इसे कोई झुठला नहीं सकता है।
...(रिपोर्ट-संजय मल्होत्रा)