Hindi Samachar/चन्दौली
सेना के जवान आसिफ की मौत की खबर जब आधी रात को घर वालों को लगी, तो घर पर मातम छा गया। एक दर्जन सेना के जवान पार्थिव शरीर को लेकर निजी बस द्वारा बाई रोड रात्रि में दो बजकर चालीस मिनट पर यहां पहुंचे थे।
●बहुत जल्द घर वापस
पहुंचने को इच्छा रह गई अधूरी, वो नहीं आ सका, शोक में डूबे लोग

मिट्टी में शामिल लोग

धानापुर/चन्दौली। सेना के जवान आसिफ की मौत की खबर जब आधी रात को घर वालों को लगी, तो घर पर मातम छा गया। दुर्घटना में मौत का शिकार हुए आसिफ के शव को पोस्टमार्टम के बाद एक दर्जन सेना के जवान पार्थिव शरीर को लेकर निजी बस द्वारा बाई रोड रात्रि में दो बजकर चालीस मिनट पर यहां पहुंचे थे। जब उसे मिट्टी दी गई तो सभी रो पड़े और सैकड़ों की भीड़ पहुंच गई।
धानापुर कस्बा के पठानटोली का मूल निवासी शहीद हुए जवान आसिफ के वारिसदारों में उसकी पत्नी रेशमा खातून व आठ माह की एक बच्ची आरिश्फा है। शहीद हुए जवान की शादी गाजीपुर जनपद के बयपुर कसेरा में 6 नवंबर 2018 में असलम खान की बेटी रेशमा खातून के साथ हुई थी।
जानकारी के मुताबिक शहीद हुए आसिफ की ट्रेनिंग पंजाब में एक दिसंबर 2011 से इक्कीस सितंबर 2012 तक हुई। फिर पहली पोस्टिंग उत्तराखंड अल्मोड़ा में हुई। इसके बाद पिथौरागढ़ में रहे। फिर 2013 में जम्मू काश्मीर में पहुंचे। फिर 2017 में बहराइच तथा 2020 में राजधानी लखनऊ में तैनात रहे।
एक बार बहराइच ड्यूटी में यात्रा के दौरान असलहे की पेटी शरीर पर गिरनें से इनको काफी चोट पहुंची थी। चोट के बाद कुछ दिनों तक इलाज चला और ठीक होने के बाद सोलह नवंबर 2020 को लखनऊ में पुनः विभागीय आफिस में ड्यूटी ज्वाइन किया।
बताया जाता है कि रविवार को मृत्यु से दो घंटे पूर्व रात्रि में आठ बजे घर पर फोन कर अपने बड़े भाई से परिवार का कुशल मंगल जाना और बताया कि छूट्टी के लिए आवेदन कर दिया हूं, बहुत जल्द घर वापस आऊंगा। इसके बाद दस बजे रात्रि में सड़क दुर्घटना में घायल हो गए। जहां इलाज के दौरान मौत हो गई।
वहीं आधी रात को घर वालों को उनके मौत की खबर लगते ही घर पर मातम छा गया। पोस्टमार्टम के बाद जवान आसिफ के पार्थिव शरीर को एक दर्जन सेना के जवानों नें
स-सम्मान निजी बस द्वारा बाई रोड रात्रि में दो बजकर चालीस मिनट पर पहुंचे।
जहां परिवार व आसपास पड़ोस के लोगों नें कंधा लगाकर गाड़ी से पार्थिव शरीर को नीचे उतारा। जोहर की नमाज बाद शरीर को शहीद पार्क में पहले ले जाया गया, फिर जगनियां स्थित कब्रिस्तान पर मिट्टी दी गई।