अन्नदाता की शहादत पर किसानों ने आयोजित की श्रृद्धांजलि सभा

अन्नदाता की शहादत पर किसानों ने आयोजित की श्रृद्धांजलि सभा

Hindi Samachar- चंदौली

किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए लोगों की याद में आयोजित शोक सभाओं को आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट और मजदूर किसान मंच के कार्यकर्ताओं ने गांवों तक पहुंचाया और उन्हें श्रद्धांजलि दी। 

श्रद्धाजंलि सभा

चकिया/चन्दौली। किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए लोगों की याद में आयोजित शोक सभाओं को आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट और मजदूर किसान मंच के कार्यकर्ताओं ने गांवों तक पहुंचायाऔर उन्हें श्रद्धांजलि दी। 

इस अवसर पर कहा गया कि किसानों को बदनाम कर आंदोलन का दमन करने का मोदी सरकार का दांव विफल हो गया है। किसान विरोधी तीनों कानून की वापसी, एमएसपी पर कानून बनाने, विद्युत संशोधन विधेयक वापस लेने की मांग पर किसानों के आंदोलन को राष्ट्रव्यापी समर्थन मिल रहा है।

   इसी कड़ी में आज आंदोलन के दौरान शहीद हुए लोगों की याद में आयोजित शोक सभा गांव- गांव में किया गया। आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट और मजदूर किसान मंच के कार्यकर्ताओं ने  साथ ही डिजिटल माध्यम द्वारा भी शोक संदेश व्यक्त किये गए। 

    यह जानकारी एआईपीएफ के राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय ने प्रेस विज्ञप्ति में दी है। इन सभाओं में किसान आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए इस शोक को शक्ति में बदलने का संकल्प लिया गया और किसान आंदोलन के संदेश को व्यापक जन संवाद कर आम आदमी तक पहुंचाने का संकल्प व्यक्त किया गया।

    कार्यक्रमों में लिए प्रस्ताव में कहा गया कि सरकार की असंवेदनहीनता की हद है। जहां भीषण जाड़े में देश की आर्थिक सम्प्रभुता को बचाने के लिए अन्नदाता लाखों की संख्या में दिल्ली के बाहर डेरा डाले हुए है और अपनी जान गंवा रहा है। वहीं गृह मंत्री बंगाल चुनाव के लिए रोड़ शो कर रहे हैं, गीत संगीत का आनंद ले रहे हैं।

    आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री रोज कारपोरेट घरानों के सम्मेलनों को सम्बोधित कर किसानों के खिलाफ जहर उगल रहे हैं। दरअसल, मोदी की महामानव की कृत्रिम छवि का सच अब देश जानने लगा है। 

       लोग कहने लगे हैं कि ये अम्बानी और अडानी के चौकीदार हैं, जिनकी हिफाजत के लिए ये और इनका मातृ संगठन आरएसएस रात दिन काम करता है। 

इसलिए बेहतर होगा कि सरकार कारपोरेट की चौकीदारी छोड़ देश के सत्तर फीसदी किसानों को तबाह करने वाले कानूनों को रद्द करे और एमएसपी पर कानून बनाए।

प्रस्ताव में कहा गया कि योगी सरकार द्वारा धान की रिकार्ड खरीद का दावा झूठ का पुलिंदा है। सच तो ये है कि नवम्बर के प्रथम सप्ताह से खरीद शुरू होने के बावजूद किसान अपने धान को बेचने के लिए पूरे प्रदेश में बुरी तरह परेशान है।

 पहले खरीद के लिए बोरा तक नहीं था, अब कहीं मशीन खराब, कहीं लेखपाल की रिपोर्ट का अभाव और कहीं नमी ज्यादा कहकर किसानों को बैरंग लौटा दिया जा रहा है। हालत इतनी बुुुरी है कि कई जिलों में तो हाईब्रिड धान की न तो सरकारी और न ही निजी खरीद हो रही है। 

मजबूरी में किसान समर्थन मूल्य से बेहद कम दर पर धान बेचने को मजबूर है। पीएम के वायदे के बावजूद गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान नहीं हुआ उल्टे सरकारी सब्सिडीऔर बकाए के ब्याज मात्र से मिल मालिक मालामाल हो रहे है।
     
आज हुए इस कार्यक्रमों का नेतृत्व एआईपीएफ के राज्य कार्य समिति सदस्य व मजदूर किसान मंच प्रभारी अजय राय, आलोक राय, संयोजक रामेश्वर प्रसाद, डाक्टर रामकुमार राय, रहीमुदीन, हजरत अली, रामदेव राय सहित कई लोगों ने चन्दौली जनपद में जगह-जगह नेतृत्व किए।

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