Hindi Samachar-चन्दौली
खेतों में पराली जलाने पर किसानों पर लादे गए मुकदमें और उन्हें नोटिस देने की मजदूर किसान मंच व आईपीएफ ने कड़ी निंदा की है।
● खेतों की सफाई करने के लिए सरकार से विशेष अनुदान की मजदूर किसान मंच ने की मांग
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सांकेतिक फ़ाइल फोटो |
Purvanchal News Print
चन्दौली। खेतों में पराली जलाने पर किसानों पर लादे गए मुकदमें और उन्हें नोटिस देने की मजदूर किसान मंच ने कड़ी निंदा की है। ऑल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट के राज्य कार्य समिति सदस्य सदस्य व मजदूर किसान मंच के जिला प्रभारी अजय राय ने प्रेस को जारी अपने बयान में कहा कि सरकार किसानों को बदनाम कर उनका उत्पीड़न करने में लगी हुई है।
महज पराली जलाने से ही प्रदूषण नहीं फैल रहा है। औद्योगिक ईकाइयों द्वारा भी बड़े पैमाने पर प्रदूषण फैलाया जा रहा है, लेकिन सरकार का साहस नहीं है कि वह उनके विरूद्ध कार्रवाई करें। किसान तो मजबूरी में पराली जलाता है क्योंकि उसे अगली फसल के लिए खेत को साफ करना पड़ता है।
यदि सरकार खेत की सफाई के लिए किसानों को अनुदान दे तो किसान को पराली जलाने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि सरकार व प्रशासन से किसानों पर मुकदमें लादने की धमकी देने की कार्यवाही वापस ले क्योंकि किसानों के बीच दहशत व्यापत है।
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किसान नेता अजय राय |
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि पराली जलाए जाने पर 2500 रुपये से लेकर 15,000 रुपये तक का जुर्माना जाएगा। फिर दोबारा ऐसा करने पर केस दर्ज करने का प्रावधान किया गया है। दो दिसम्बर तक चंदौली में पराली जलाने वाले 37 किसानों पर केस दर्ज हुआ है।
उन्होंने सरकार से खेत सफाई के लिए किसानों को अनुदान देने की मांग की है। चन्दौली में करइल के किसानों से मिलने के बाद कहा कि मोदी सरकार किसानों के संकट को हल करने की जगह जुंबा खर्च केवल कर रही हैं। मौजूदा स्थिति यह है कि किसानों के फसलों के खरीद के लिए बना धान क्रय केन्द्र केवल कागजी है और किसानों के धान की खरीद नहीं हो पा रहीं है।
किसान आढ़तियों व बिचौलियों को बेचने के लिए बाध्य हैं। किसानों के सवालों से सत्ताधारी जनप्रतिनिधियों को कोई लेना देना नहीं हैं। वहीं धान खरीद के लिए किसानों का रजिस्ट्रेशन का सत्यापन करने में लेखपालों की हीलाहवाली के कारण प्रभावित हैं।
यहां वैकल्पिक व्यवस्था करने को लेकर उपजिलाधिकारी से मिलकर किसानों के सवालों को उठाया गया क्योंकि धान क्रय करने में लापरवाही बरती जा रही है, इसलिए सरकार को किसानों के उपरोक्त सवालों पर ध्यान देना चाहिए।