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यूपी पुलिस द्वारा बिहार सीमा सरहद पर कर्मनाशा नदी के बीचो बीच जेसीबी मशीन से महज चार फीट का गड्ढा खुदाई कर लाखों की शराब के ऊपर मिट्टी डाल दिया गया।

जेसीबी से खुदाई कर गड्ढे में डाली जा रही शराब

Hindi Samachar/Bihar
दुर्गावती (कैमूर)/चंदौली। यूपी पुलिस द्वारा बिहार सीमा सरहद पर कर्मनाशा नदी के बीचो बीच जेसीबी मशीन से महज चार फीट का गड्ढा खुदाई कर लाखों की शराब के ऊपर मिट्टी डाल दिया।
जब नदी का जलस्तर बढ़ेगा तो वह शराब जल के बहाव में बह कर नदी के किनारों में जब लगेगा तो आसपास के ग्रामीणों को पीने से उनके जीवन को खतरा बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। यही नहीं बल्कि कुछ शराब माफिया भी रात में उक्त गड्ढे से शराब निकासी कर बिहार में ले जाकर बेचने की फिराक में जुट गए हैं।
बता दें कि साल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू है, ऐसी स्थिति में बिहार सीमा में शराब का सेवन हो अथवा शराब का कारोबार और तस्करी करना कानूनन अपराध है। हालांकि शासन और प्रशासन स्तर पर शराब तस्करी के सवाल पर काफी सख्ती बरत रही है।
यही नहीं अंतर राज्यीय शराब तस्करी कारोबार गिरोह के पकड़े जाने पर जब्त अवैध शराब को बिहार सीमा में मजिस्ट्रेट की प्रतिनियुक्ति पर विनष्ट किया जाता है, यानी विभिन्न थानों में जब्त अवैध शराब को मजिस्ट्रेट के सामने रोलर चलाकर उसे संपूर्ण तरीके से नष्ट किया जाता है। लेकिन दूसरी तरफ बिहार सीमा से सटे उत्तर प्रदेश का तरीका ठीक नहीं है।
खबर है कि सैयदराजा थाने में सन 2014 से अब तक जब्त अवैध शराब को यूपी पुलिस प्रशासन ने जिस तरीके से यूपी बिहार कर्मनाशा बॉर्डर पर यूपी-बिहार को अलग करने वाली कर्मनाशा नदी में जेसीबी मशीन के द्वारा महज 3-4 फीट की खुदाई कर लाखों रुपए के अवैध शराब को जमीदोज किया है। बोतलबंद देशी-विदेशी शराब को संपूर्ण तरीके से नष्ट किए बगैर गड्ढा खोदकर उसे ढक दिया है।
अब सवाल खड़ा होता है कि उत्तर प्रदेश की सैयदराजा पुलिस और प्रशासन आखिर उस जगह पर जहां दो राज्यों का बंटवारा करती है वहां अपने हिस्से में आने वाली नदी के भीतर जेसीबी मशीन से खुदाई कर बंद बोतल शराब को जिस तरीके से ढक कर इसकी खानापूर्ति की गई है, क्या कानूनी रूप से सही है।
लोग कहते हैं कि होना यह चाहिए था कि जगह चाहे जो भी हो यूपी पुलिस प्रशासन द्वारा अवैध शराब के ऊपर रोलर क्यों नहीं चलाया गया। जिस जगह पर जेसीबी मशीन से गड्ढे की खुदाई कर लाखों के अवैध शराब को जमींदोज किया गया, उससे बेहतर था कि कर्मनाशा नदी जमीन पर बोतलबंद शराब के ऊपर रोलर चला दिया गया होता तो यह बेहतर रहता।
खास बात तो यह है कि जिस तरीके से अवैध शराब को नष्ट करने की प्रक्रिया पूरी की गई है, इसकी चर्चा केवल यूपी में ही नहीं बिहार के सीमावर्ती इलाकों में भी काफी तेजी से फैल रही है। जो तस्वीरें वीडियो फुटेज स्पष्ट तौर पर गवाही दे रहे हैं कि इस प्रक्रिया में कहीं न कहीं बड़ी कमी है।
खामियाजा यह है जो कि वह सवाल खड़े कर रहा है कि अगर नदी में जलस्तर बढ़ेगा तो एक फीट मिट्टी को उलट कर सारा शराब जल के धारा में वह कुछ दूर जाकर लग जाएंगे।
जिसको आसपास के ग्रामीणों द्वारा शराब मिलने के बाद उसकी सेवन करते ही लोगों को खतरा पहुंच सकता है। इस बात पर शासन-प्रशासन की जरा सा भी नजर नहीं आई है।