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पूर्वांचल राज्य जनमोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरवंश पूर्वांचली ने कहा कि पूर्वांचल के समग्र विकास व खुशहाली के लिए पृथक राज्य की स्थापना अति आवश्यक है। हमने बहुत दुःख दर्द सहा, अब पृथक राज्य की जरूरत है।

फोटो फाइल

Hindi Samachar, लखनऊ/चन्दौली। पूर्वांचल राज्य जनमोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरवंश पूर्वांचली ने कहा कि पूर्वांचल के समग्र विकास व खुशहाली के लिए पृथक राज्य की स्थापना अति आवश्यक है। यहां के लोगों ने बहुत दुःख दर्द सहा, अब उनको पृथक राज्य दे दीजिए।
चन्दौली में एक 'विशेष बातचीत' में उन्होंने कहा कि पूर्वांचल के दौरे पर आए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव व एआईएमआईएम के अध्यक्ष व सांसद ओवैसी को पूर्वांचल के लोगों से खुले मन से उनकी 74 सालों की बदहाली पर बात करनी चाहिए, सिर्फ चुनाव की गरज से पूर्वांचल के लोगों से झूठी बातें करना ठीक नहीं कहा जा सकता है।
श्री पूर्वांचली ने कहा कि पूर्वांचल में खुशहाली और विकास तभी स्थायी रूप ले सकता है, जब उसे पृथक राज्य का दर्जा दिया जाएगा। तब उसका अलग बजट होगा और उसकी अलग नीति होगी। तभी पूर्वांचल के आम आदमी की खुद के हाथों से पूर्वांचल के विकास में रचनात्मक भूमिका होगी।
उन्होंने आगे कहा कि देश की आजादी के बाद उत्तर प्रदेश में सरकारें बनती और बिगड़ती रही मगर सत्ता में बैठे लोग सिर्फ झूठे विकास का राग अलापते रहे, जिसका परिणाम हुआ कि यूपी का पूर्वी क्षेत्र लगातार पिछड़ता रहा।
यह कोई झूठ नहीं है, मोदी सरकार का नीति आयोग यह दर्शा चुका है। जांच में यह सामने है कि पूरे देश में 110 जिलों के सर्वे में सबसे अधिक पिछड़े जनपद पूर्वांचल के रहे हैं। आज भी दूसरे राज्यों के लोग पूर्वांचलियों को नौकरी छिनने वाला कहकर बुलाते हैं। सबसे अधिक बेरोजगार युवक पूर्वांचल से पलायन करते हैं। यह कोरोना काल में भी सिद्ध हो चुका है। मौजूदा समय में भी पूर्वांचल उद्योग शून्य सा है। अन्य क्षेत्रों की तरह पूर्वांचल का विकास नहीं हो पा रहा है।
जनमोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आगे कहा कि जब-जब चुनाव आता है पूर्वांचल के लोगों की तकदीर और तस्वीर बदलने की बातें की जाती है। वोट लेने के समय पूर्वांचल राज्य की भी चर्चा होती है मगर सत्ता में पहुंचते ही सभी भूल जाते हैं। जो लोग पूर्वांचल की अनदेखी करते रहे उन्हें पूर्वांचलियों से सत्ता पाने के लिए वोट नहीं मांगना चाहिए।
श्री पूर्वांचली ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के कार्यो को सराहते हुए कहा कि वही एक ऐसे शख्स थे जिन्होंने महज एक पखवाड़े के भीतर तीन-तीन नए राज्य बना डाला। उन्होंने लोगों की दुःख दर्द व भावनाओं को समझा और छतीसगढ़, झारखंड व उत्तराखंड बनाकर उन्हें सौंप दिया। आज ये राज्य तेजी से विकास कर रहे हैं। पूर्वांचल राज्य जनमोर्चा ऐसे महापुरुष का एक नहीं हजार बार-बार सराहना व नमन करता है।
श्री पूर्वांचली ने कहा कि केंद्र व राज्य में बैठी भाजपा सरकार छोटे राज्यों की हिमायती रही है। पता नहीं क्यूं पूर्वांचल राज्य के गठन के सवाल पर नकारात्मक रोल अदा कर रही है। इनके द्वारा गठित विकास बोर्ड भी कुछ खास नहीं कर पा रहा है। उसकी भी वही गति हो गई है, जैसे मुलायम सिंह यादव ने अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में पूर्वांचल के लिए अलग बजट की व्यवस्था की थी। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल के विकास के लिए उद्योग व खेती दोनों को एक साथ आगे बढ़ाना होगा।
पहले जैसा अब वैसा नहीं चलेगा जैसे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, सैफई के विकास और लखनऊ के मेट्रो चलाने को दिखाकर पूर्वांचल के विकास की बातें करते थे। पूर्वांचल के लोग बहुत दुःख पीड़ा सहते आ रहे हैं। सिर्फ गाज़ियाबाद ही नहीं गाजीपुर, चन्दौली का भी विकास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि लखनऊ में बैठकर पूरे प्रदेश के कानून व्यवस्था को नहीं देखा जा सकता है। वहां से पूर्वांचल की बातें नहीं होनी चाहिए। हमें पूर्वांचल में भी प्रशासनिक सेंटर बनाना होगा। राज नेताओं को नियत व नीति दोनों साफ करनी पड़ेगी।
उन्होंने की हम 70 सालों से देखते आ रहे हैं कि एक ही व्यवस्था से पूरे उत्तर प्रदेश को नापा जा रहा है। उन्होंने कहा कि पश्चिम में जब फसल आधी तैयार हो जाती है, तब पूरब में फसल उगनी शुरू होती है। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल का सिर्फ कागजों में विकास हो रहा है। उसे जमीनी हकीकत बनाना है तो पहले पृथक की स्थापना करनी होगी।
जनमोर्चा के नेता ने कहा कि जो लोग पूर्वांचल राज्य बनाने का विरोध करते हैं वह भूल जाते हैं कि आजादी के समय 17 राज्य थे और देश में आज 29 राज्य बन चुके हैं।
उन्होंने पूर्वांचल के लिए उन्हें दोषी ठहराया जो पूर्वांचल से सांसद व एमएलए चुनकर तो दिल्ली व लखनऊ पहुंच जाते हैं मगर अपने नेताओं से पूर्वांचल के पिछड़ेपन की चर्चा तक नहीं करते हैं। जनमोर्चा के नेता ने पूर्वांचल के गाजीपुर के पूर्व कांग्रेस सांसद गहमरी जी का नाम लेते हुए कहा कि वहीं एक शख्स थे, जिन्होंने पूर्वांचल के दर्द को संसद में रखा था। हम उन्हें कोटि-कोटि नमन करते हैं।
श्री पूर्वांचली ने सवाल खड़ा किया कि आखिर पूर्वांचल के साथ कब तक ये नेता धोखा करते रहेंगे? सत्ता में पहुंचते ही पूर्वांचल के साथ भेदभाव शुरू हो जाता है। जनमोर्चा के नेता ने कहा कि पूर्वांचल के साथ अब यह नहीं चलेगा।
अब नेताओं को ठोस वादा करना होगा और पूर्वांचल के लोगों की जरूरत पर बहस करनी होगी। पूर्वांचली ने अफसोस जताया कि पूर्वांचल की विकास को लेकर पटेल कमीशन की रिपोर्ट को भी सत्ताधारी सरकारी फाइलों में दबाए बैठे हैं, उन्होंने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग दोहराई।
(रिपोर्ट-संजय मल्होत्रा/विशाल कुमार)
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