हाय रे ! नीतीश सरकार: श्रमिकों के पंजीकरण की आड़ में श्रम प्रवर्तन विभाग व दलालों का बड़ा खेल!

हाय रे ! नीतीश सरकार: श्रमिकों के पंजीकरण की आड़ में श्रम प्रवर्तन विभाग व दलालों का बड़ा खेल!

Purvanchal News Print

बिहार की नीतीश सरकार के सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार मुक्त के दावे को कतिपय अधिकारी व सरकारी संरक्षण प्राप्त दलाल ठेंगा दिखा रहे हैं। एक सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है।

क्या यह चल रहा लूट का खेल!

पंजीकरण शुल्क के नाम पर 50 की जगह हजार-हजार रुपये की अवैध वसूली

Hindi Samachar, दुर्गावती (कैमूर)। बिहार की नीतीश सरकार के सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार मुक्त के दावे को कतिपय अधिकारी व सरकारी संरक्षण प्राप्त दलाल ठेंगा दिखा रहे हैं। इस तरह का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है।

 श्रम प्रवर्तन विभाग द्वारा गरीब मजदूरों को अनुदान की राशि प्रत्येक वर्ष दी जाती है और राशि पाने के लिए वे श्रम प्रवर्तन विभाग में पंजीकरण भी कराते हैं। मगर आलम यह है कि इस आड़ में विभाग के पदाधिकारी व दलाल मोटी रकम की अवैध वसूली पिछले 10 सालों से करते आ रहे हैं।



रजिस्ट्रेशन के नाम पर 11-11 सौ की कमाई

आरोप है कि श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी द्वारा प्राइवेट दलालों को रखकर गरीब मजदूरों का खून चूसने का काम किया जा रहा है। इसके लिए कभी दुर्गावती तो कभी मोहनिया, तो कभी खजुरा पंचायत में मीटिंग कर रजिस्ट्रेशन शुल्क के नाम पर 11 सौ रुपए की वसूली की गई है, जिसका वीडियो भी वायरल हो चुका है, जबकि रजिस्ट्रेशन शुल्क मात्र ₹50 निर्धारित है।


 बताते चलें कि बिहार भवन एवं संनिर्माण कर्मकार योजना की राशि गरीब मजदूरों के बीच बांटने का प्रलोभन देकर निःसहाय गरीब लोगों से अवैध  वसूली लंबे समय से हो रहा है। इसके लिए गरीब अपने घर का गेहूं और चावल बेचकर उक्त राशि के लालच में दलालों को पैसा देते हैं।



  भ्रष्टाचार पर क्या कहते हैं गरीब-मजदूर?
संतोष राम, सुमंत कुमार, फूला देवी, अंजनी देवी, सावित्री कुंवर आदि मजदूरों ने बताया कि श्रम अनुदान की राशि सन 2015 में प्रत्येक मजदूरों को पंद्रह हजार के हिसाब से मजदूरों के खाता में भेजा गया था और उक्त राशि देने के नाम पर दो हजार रूपए गरीब मजदूरों से श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी के दलाल जो मोहनिया निवासी है ने अवैध की और कुछ लोगों का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट एवं मजदूर लेबर कार्ड को ही गायब कर दिया गया है।


 दलालों द्वारा मजदूरों से पैसा लेने के बाद भी मजदूरों के खाते में अब तक एक भी राशि नहीं आई है और जो व्यक्ति इसका विरोध करने की हिमाकत करता है तो लेबर इंस्पेक्टर एवं उनके दलालों द्वारा डराया-धमकाया जाता है।

 यह भी कहा जाता है कि कि श्रम अनुदान की राशि तुम्हे नहीं मिलेगी। साथ ही रजिस्ट्रेशन से नाम काट कर हटा दिया जाएगा। इस वजह से श्रम पदाधिकारी एवं उनके दलालों के खिलाफ कोई गरीब मजदूर तबके के लोग अपना मुंह नहीं खोल पाते हैं।

 नवीनीकरण के लिए आठ-आठ सौ की रकम

मजदूरों ने बताया कि रजिस्ट्रेशन कराने के लिए ₹2000 दिया गया था उसके बाद रिनुअल ऑनलाइन कराने के लिए प्रति मजदूरों से आठ- आठ सौ रुपए की अवैध वसूली इन दलालों के द्वारा की गई है। मजदूरों को गुमराह करके उनके खाता में योजना की राशि भेजने के लिए प्रति मजदूरों से 11 सौ रुपए की अवैध वसूली किया गया है। उसके बाद कुछ लोगों के खाते में पैसा आया लेकिन कुछ लोगों के खाते में पैसा अभी तक नहीं पहुंचा है, जिससे कुछ लोगों में आक्रोश व्याप्त है। 
 
...जब लेबर इंस्पेक्टर ने फोन नहीं उठाया

खास बात तो यह है कि श्रम प्रवर्तन विभाग द्वारा गरीब मजदूरों का पैसा वैसे लोगों के खाते में ही भेजा है, जो कि मारुति कार से चलते हैं और खेतिहर किसान है। अगर इनकी जांच की जाए तो हकीकत में भ्रष्टाचार उजागर आईना की तरह हो जाएगा। जब इस संवाददाता ने जब लेबर इंस्पेक्टर से बात करना चाहा तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।

रिपोर्ट-संजय मल्होत्रा

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