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संसद में 2014 में एक क़ानून बना जिसमें कहा गया कि पटरी पर रेहड़ी लगाकर रोजगार करने वाले को एक संरक्षित जगह दी जाए। जिसमें वो अपनी दुकान लगा सकें, मगर आज तक रेहड़ी- पटरी वालों का कुछ नहीं हो पाया.
● संसद में बने कानून के हिसाब से काम करे आदर्श नगर पंचायत चकिया प्रशासन
Hindi Samachar, चकिया (चन्दौली)। संसद में 2014 में एक क़ानून बना जिसमें कहा गया कि पटरी पर रेहड़ी लगाकर रोजगार करने वाले को एक संरक्षित जगह दी जाए। जिसमें वो अपनी दुकान लगा सकें। मगर आज तक रेहड़ी- पटरी वालों का कुछ नहीं हो पाया। इन लोगों का रोज़गार इसी से चलता है। इन्हें कहीं भी कोई भी हटा देता है।
संसद ने पटरी व्यवसायियों के हित मे फेरी पटरी व्यवसाय अधिनियम 2014 नाम से कानून बना रखा है जो कि इन्हें अपनी आजीविका चलाने का अधिकार देता है। पटरी व्यवसायियों के साथ आदर्श नगर पंचायत चकिया में रोजाना हटाने का प्रचार व प्रशासन द्वारा धमकी देने से चकिया के व्यापारियों में भारी आक्रोश है ।
लगातार कानून का हवाला देने पर भी चकिया प्रशासन दरकिनार कर रहा है। इनकी आजीविका का एक मात्र साधन इनसे सुनियोजित तरीके से छीना जा रहा है।आदर्श नगर पंचायत चकिया में संसद द्वारा पारित 2014 अधिनियम के तहत पटरी पर ठेला, खुमचा , रेहड़ी लगाकर कर अपना दुकान कर जिवकोपार्जन करने के लिए समुचित व्यवस्था करने की जगह नगर पंचायत उनको बेदखल करने की कोशिश कर रही हैं जो कहीं से सही नहीं हैं। और सन् 2014 के कानून का उल्लंघन भी हैं।
यह कानून कहता हैं कि पटरी पर ठेला, खोमचा, या अस्थायी दूकान खोलकर रोजगार करने वाले का पंजीकरण कर उनके रोजगार के लिए समूचित व्यवस्था व सरकारी सब्सिडी देकर उनके रोजगार को प्रोत्साहित करने का हैं लेकिन चकिया में उल्टा हो रहा हैं! विरोध में आवाज उठनी चाहिए!
वही एआईपीएफ राज्य कार्य समिति के सदस्य अजय राय ने कहा कि भाजपा नेताओं से कहा कि स्थानीय प्रशासन के समक्ष सवालों को उठाने की जगह केन्द्र सरकार व राज्य सरकार से पुछना चाहिए कि संसद में बनी 2014 रेहड़ी पटरी अधिनियम का अनुपालन क्यों नहीं हो रहा हैं! कानून बना हैं तो चकिया के रेहड़ी पटरी पर रोजगार की व्यवस्था करने की जगह उनका उत्पीड़न क्यों हो रहा है?