भारत बंद: केंद्र सरकार की कॉरपोरेट परस्त तीनों कृषि कानून रद्द करनी की मांग फिर उठी!

भारत बंद: केंद्र सरकार की कॉरपोरेट परस्त तीनों कृषि कानून रद्द करनी की मांग फिर उठी!

Purvanchal Hindi Samachar

तीनों कृषि बिल व मज़दूर विरोधी चारों लेबर कोड रद्द करो नारे के साथ "किसान संयुक्त मोर्चा" ने 26 मार्च के भारत बन्द के समर्थन में चन्दौली  में धरना दिया व ज्ञापन सौपा।

धरना देते मजदूर किसान, फोटो-pnp

हाईलाइट्स:

● संयुक्त किसान मोर्चा
भारत बंद के समर्थन चकिया गांधी पार्क में किसान संगठनों ने दिया धरना व तहसीलदार को सौपा ज्ञापन

●न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सभी फसलों की खरीद की गारंटी का कानून बनाओ, साथ ही लेबर कोड रद्द करो

ब्रेकिंग न्यूजचन्दौली/पूर्वांचल। तीनों कृषि बिल व मज़दूर विरोधी चारों लेबर कोड रद्द करो की मांग पर "किसान संयुक्त मोर्चा" द्वारा आहूत 26 मार्च के भारत बन्द के समर्थन में अखिल भारतीय किसान सभा, अखिल भारतीय किसान महासभा, मजदूर किसान मंच, अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन के नेतृत्व में भारी पुलिस बंदोबस्त को धत्ता बताते हुए चन्दौली जनपद के चकिया गांधी पार्क में धरना दिया व सभा करते हुए तहसीलदार व चकिया कोतवाल को ज्ञापन सौपा।

सभा में बोलते हुए वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार एक तरफ किसानों से वार्ता को एक टेलीफोन की दूरी पर बता रही है, दूसरी तरफ इन कानूनों को जल्दबाजी में लागू करने पर जोर दे रही है। केंद्र सरकार का यह कदम चार माह से दिल्ली के बॉर्डरों और देश भर में आंदोलन में डटे किसानों की पूर्ण उपेक्षा को दर्शाता है।

ज्ञापन सौंपते एआइपीएफ नेता अजय राय


उन्होंने चेतावनी दी कि मोदी सरकार तीनों कृषि कानूनों को तत्काल वापस ले, एमएसपी गारंटी कानून बनाए। ऐसा न होने पर किसान आंदोलन और भी तेज होगा।

 कहा कि, खाद्य, उपभोक्ता मामलों और पीडीएस से सम्बंधित संसदीय स्थाई समिति द्वारा आवश्यक वस्तु (संशोधित) अधिनियम 2020 को लागू करने की सिफारिश करने का कदम मोदी सरकार के दबाव में लिया गया है। यह कारपोरेट कंपनियों और जमाखोर बड़ी पूंजी के मालिकों के हित में है। 

यह पीडीएस सिस्टम को समाप्त कर गरीब की थाली से रोटी छीनने और खाद्य वस्तुओं को अति मुनाफे के उपभोक्ता माल में बदलने का कानून है। यह 135 करोड़ की हमारी आबादी जिसमें 56 प्रतिशत लोग कुपोषण के शिकार हैं, की खाद्य सुरक्षा पर बड़ा हमला है।

वक्ताओं ने कहा कि खेती-किसानी और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण के खिलाफ़ किसान और मजदूर लगातार सड़कों पर उतर रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार अपने चहेते पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए उनकी माँगों की लगातार अनदेखी कर रही है। निजीकरण के खिलाफ़ यह लड़ाई आर पार के संघर्ष में तब्दील होती जा रही है। 

तीन सौ किसानों की शहादत के बाद भी चल रहे आंदोलन ने स्पष्ट रूप से दिखा दिया है कि देश के ऊपर मोदी सरकार के नए कंपनी राज थोपने के मंसूबों को ध्वस्त करने तक यह लड़ाई रुकने वाली नहीं है।
 
किसानों व मजदूरों ने कहा कि तीनों काले कृषि कानून पूंजीवादी शोषण को बढ़ाने का काम करेंगे और देश के आम मेहनतकश लोगों की खाद्य सुरक्षा को खतरे में डाल देंगे।

सभा को माकपा जिला सचिव राम अचल यादव, अखिल भारतीय किसान सभा के जिला अध्यक्ष परमानन्द कुशवाहा, भाकपा ( माले) जिला सचिव अनिल पासवान, आई पी एफ राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय, किसान सभा जिला मंत्री लालचंद यादव, जनवादी महिला समिति अध्यक्ष लालमणि विश्वकर्मा, किसान महासभा के अध्यक्ष शिवनारायण बिन्द, आदिवासी नेता रामदुलारे वनवासी, खेत मजदूर युनियन के नेता जयनाथ, शिवमुरत राम, लोकप्रिय किसान नेता व माकपा तहसील मंत्री शम्भू नाथ यादव, माले नेता रामायण राम, विजयी राम, वसीम अहमद ने सम्बोधित किया! 

अध्यक्षता किसान नेता परमानन्द कुशवाहा व संचालन मजदूर किसान मंच के नेता अजय राय ने किया!


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