पूर्वांचल राज्य जनमोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरवंश पूर्वांचली ने कहा कि पूर्वांचल के समग्र विकास और खुशहाली के लिए पृथक पूर्वांचल राज्य का गठन होना जरूरी है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्वांचल राज्य जनमोर्चा, फ़ोटो-pnp

सकलडीहा (चन्दौली)। पूर्वांचल राज्य जनमोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरवंश पूर्वांचली ने शुक्रवार को यहां जारी बयान में कहा कि पूर्वांचल के समग्र विकास और खुशहाली के लिए पृथक पूर्वांचल राज्य गठन होना जरूरी है।
उन्होंने बताया कि पूर्वांचल राज्य जनमोर्चा अगले महीनों में जन- जागरूकता के तहत पूर्वांचल यात्रा पर निकलेगा, यह यात्रा संसद में पहली बार पूर्वांचल की बात रखने वाले स्व. विश्वनाथ सिंह गहमरी के पैतृक गांव गाजीपुर के गहमर भी जाएगी। हम पूर्वांचल की वेदना, दर्द को पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस सहित लखनऊ से लेकर दिल्ली तक पहुंचना चाहते हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली, लखनऊ की सत्ता में बैठने वाले लोग अब तक पूर्वांचल के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए ईमानदारी से काम नहीं किया है। इसका नतीजा है कि हम अपने ही प्रदेश में अन्य इलाकों की अपेक्षा आमदनी में सबसे पीछे है। सदैव पूर्वांचल के साथ भेदभाव होता आया है। अब तो पूर्वांचल के भीतर ही जनपदों के विकास में पक्षपात शुरू है। उन्होंने कहा कि अब तो यूपी में पूर्वांचल विकास बोर्ड का कोई नाम लेने वाला भी नहीं रह गया है।
उन्होंने कहा कि जो लोग यह दावा कर रहे हैं कि पूर्वांचल विकास कर रहा है, इस तरह के दावा देश की आजादी के बाद से ही होता आ रहा है। यह सही होता तो सबसे बड़ी संस्था नीति आयोग के सर्वे रिपोर्ट में देश में पूर्वांचल के आधा दर्जन से अधिक जनपद पिछड़ी श्रेणी में दर्ज नहीं होते।
जनमोर्चा नेता ने कहा कि वे बसपा सुप्रीमो मायावती के आभारी हैं, जिन्होंने पूर्वांचल राज्य गठन के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा था। आगे भी राज्य के सवाल को उठाने की उम्मीद जताते हैं।
उन्होंने कहा कि पूर्वांचल राज्य जनमोर्चा का मकसद न तो सरकार का विरोध करना है, ना ही उसे सत्ता में भागीदारी का लोभ है। सिर्फ हम पूर्वांचल को अन्य राज्यों के साथ खड़ा होना देखना चाहते हैं।
ताकि यहां के बेरोजगार नौजवान को पलायन को मजबूर न होना पड़े, मजदूर काम के लिए दूसरे राज्यों में न भटकें। न ही उन्हें कोई नौकरी छिनने वाला बोले और उन्हें दिल्ली, मुंबई में पूर्वांचली के नाम पर मार खानी न पड़े।
उन्होंने बयान में कहा कि पूर्वांचल राज्य जनमोर्चा उन सभी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होना चाहता है, जो पूर्वांचल में एक नया सबेरा लाना चाहते हैं। पूर्वांचल को विशेष राज्य का दर्जा देकर यहां के 70 सालों की बदहाली की दाग को मिटाने का काम करें।
श्री पूर्वांचली ने पूर्वांचल के लोगों का आह्वान किया कि हम सभी किसी तरह तो जी रहें हैं, अब हमें अपनी आने वाली भावी पीढ़ी के लिए लड़ना पड़ेगा । हम कभी भी नहीं चाहेंगे कि उन्हें भी दो जून की रोजी-रोटी व नौकरी के लिए सूरत, मुंबई, पंजाब, दिल्ली आदि जगहों पर पलायन करना पड़े। इसलिए पूर्वांचल राज्य के गठन के प्रति संकल्पित होना होगा।