स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही। एक्सरे मशीन को चलाने के लिए दो वर्ष पूर्व एक्सरे टेक्नीशियन की नियुक्ति की गई और मशीन लगे एक वर्ष बीत गया, बावजूद एक्सरे की सुविधा नहीं।

स्वास्थ्य केंद्र दुर्गावती, फोटोpnp

हाइलाइट्स
● दंत चिकित्सक की नियुक्ति, दांत मशीन भी लगी, बावजूद मरीज लाचार
●अस्पताल के डॉक्टरों की मिलीभगत से 900 से 1000 तक की दवा बाहर से खरीद
● एक्सरे मशीन की सुविधा बहाल, हीला-हवाली के चलते एक्स-रे मशीन चालू नहीं
दुर्गावती (कैमूर)। बिहार में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। स्वास्थ्य केंद्र में उच्च क्षमता वाली एक्सरे मशीन को चलाने के लिए दो वर्ष पूर्व एक्सरे टेक्नीशियन की नियुक्ति की गई है।
मशीन को लगे एक वर्ष बीत गए हैं, इसके बावजूद प्रखण्ड वासियों को एक्सरे की सुविधा नहीं मिल पा रही है। एक्सरे टेक्नीशियन को बैठा कर वेतन भुगतान किया जाता है।
आलम यह है कि हीलाहवाली के चलते एनजीओ की मशीन को मनमाने ढंग से प्रयोग में लाया जाता है। जिससे सरकार को लाखों रुपए का चुना लगाया जा रहा है।
वहीं सरकार द्वारा प्रखण्ड स्तर पर दंत चिकित्सक की नियुक्ति की गई है और लाखों रुपए खर्च कर दांत मशीन संसाधन सरकार की तरफ से उपलब्ध कराया गया है।
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लाखों की एक्सरे मशीन धूल फांक रही |
किंतु ग्रामीणों को दांत का इलाज के लिए प्राइवेट अस्पतालों का सहारा लेना पड़ रहा है। जहां मरीज शोषण का शिकार हो रहे हैं।
बता दें कि बीते जनवरी 2021 में एक्सरे मशीन को चालू करने के उद्देश्य से कैमूर सिविल सर्जन ने मशीनों का औचक निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान कुदरा प्रखण्ड और दुर्गावती प्रखंड तथा मोहनिया प्रखण्ड को लक्षित करते हुए एक्सरे मशीन और दंत मशीन को चालू कराया गया था परन्तु दुर्गावती की सुविधा बहाल नहीं हो सकी, जो प्रशासनिक अनदेखी का सबसे बड़ा उदाहरण हैं।
सरकार की सारी सुविधा होने के बावजूद भी मरीजों को बाहर जांच कराना पड़ता है और ऑपरेशन के बाद ऑपरेशन वार्ड में ले जाने के लिए प्रति मरीजों से डॉक्टरों के द्वारा ₹50 की वसूली ढूलाई करने के नाम पर लिया जाता है।
पर्ची काटने का किसी से दो रूपया तो किसी से पांच रूपए प्रति व्यक्ति से लिया जाता है। सरकारी दवा मिलने के बावजूद भी आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा अस्पताल के डॉक्टरों की मिलीभगत से 900 से 1000 तक का दवा बाहर से मरीजों को खरीदवाया जाता है।
ऑपरेशन के दौरान मिलने वाली राशि प्राप्ति के लिए मरीजों को महीनों तक बैंक का चक्कर लगाना पड़ता है। अस्पताल में सरकार के द्वारा दंत चिकित्सा की व्यवस्था की गई है, लेकिन अभी तक वह चालू नहीं कराया गया है जिससे मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है जो कि यह बड़ी लापरवाही बरती जा रही है।
ऑपरेशन के दौरान बिजली कटने पर मरीजों को अंधेरे का सामना करना पड़ता है। सरकार द्वारा मरीजों को सभी सुविधाएं रहने के बावजूद भी सरकारी लाभ नहीं मिल पाता है।
मजे की बात तो यह है कि सरकार द्वारा एक्सरे मशीन की सुविधा बहाल की गई है लेकिन हीला-हवाली के चलते अभी तक एक्स-रे को चालू नहीं किया गया है।
जिससे मरीजों को बाहर प्राइवेट अस्पतालों में जाकर एक्सरे जांच कराना पड़ता है, तब जाकर स्वास्थ्य कर्मी मरीजों का इलाज करते हैं। अस्पताल की आशा एवं ममता कार्यकर्ताओं के द्वारा प्रसव के दौरान आई महिला मरीजों को अस्पताल की सेवा भत्ता बताकर मरीजों का शोषण किया जाता है और निजी अस्पताल में पहुंचाया जाता है।
इतना ही नहीं बल्कि निजी अस्पतालों में आशा और ममता ड्यूटी करती हैं और ड्यूटी से गायब होकर दूसरे तरफ महिलाओं का प्रसव भी प्राइवेट अस्पतालों में ले जाकर के करवाती हैं।
जिसमें मरीज की अच्छी खासी रकम खर्चा होता है। शिशु मृत्यु दर रोकने के लिए सरकार की व्यवस्था को बाधित करते हुए गत कुछ महीने में कई नवजात शिशु की मृत्यु हो चुकी है।
बता दें कि ऑपरेशन वाले मरीजों को जमीन पर लेटा दिया जाता है, यह परंपरा वर्षो से चली आ रही है चिकित्सक प्रतिदिन ड्यूटी नहीं करते हैं बल्कि एक ही डॉक्टर 24 घंटे ड्यूटी करता है।
पूछे जाने पर बताया जाता है कि यह हमारा रोस्टर है, जबकि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र विभाग के प्रमुख निदेशक पटना के द्वारा डॉक्टरों को प्रतिदिन ड्यूटी करने का निर्देश जारी है, बावजूद उसके समय से ड्यूटी पर डॉक्टर मौजूद नहीं रहते हैं कभी कभार एक ही डॉक्टर 24 घंटे ड्यूटी को संभालते नजर आते है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बिहार में बैसाखी के सहारे स्वास्थ्य विभाग चल रहा है मजदूर वर्ग गरीब तबके के मरीज को समय पर एंबुलेंस नहीं मिल पाता है जिससे लाचार एवं विवश होकर झोलाछाप डॉक्टरों का शिकार बन जाते हैं।
दुर्गावती क्षेत्र में दर्जनों बिना लाइसेंस के झोलाछाप चिकित्सक अपना-अपना डिस्पेंसरी खोलकर बैठे हुए हैं और मरीजों का शोषण करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
क्षेत्रीय ग्रामीणों की मानें तो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दुर्गावती में चिकित्सकों की मिलीभगत से झोलाछाप डॉक्टरों की चांदी कट रही है आशा और चिकित्सक की मिलीभगत से मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में अच्छा ढंग से इलाज कराने का झांसा देकर झोलाछाप डॉक्टरों के हाथों में मरीजों को सौंप दिया जाता है। जहां सरकारी चिकित्सकों को ऊपरी आमदनी के रूप में कमीशन मिल जाता है और वहीं दूसरी तरफ क्षेत्र में दर्जनों उप स्वास्थ्य केंद्र बंद होने के कारण मरीजों की स्थिति बद से बदतर हो गई है और आए दिन मरीज झोलाछाप डॉक्टरों का शिकार होते नजर आ रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग की निंदा करते हुए ग्रामीणों ने कहा कि तत्काल बंद पड़े एक्सरे मशीन और दंत मशीन और बंद पड़े उप स्वास्थ्य केंद्रों को सरकार से चालू कराने की मांग की है और भ्रष्ट स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों, डाक्टरों तथा आशा कार्यकर्ताओं की जांच किया जाए अन्यथा बाध्य एवं विवश होकर क्षेत्रीय ग्रामीण जनता आंदोलन पर उतर आएगी।
क्या कहते हैं सदर अस्पताल के चिकित्सक ?
सिविल सर्जन से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि ऐसी लापरवाही की घोर निंदा करता हूं और इसकी जांच कराई जाएगी दोषी पाए जाने पर कार्रवाई किया जाएगा।
संवाद सहयोगी: संजय मल्होत्रा