प्रबुद्ध वर्ग के विचार संगोष्ठी के आयोजन पर कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज हो रहे हैं। जातिगत द्वेष के चलते कार्यक्रम रोके जा रहे।डराने की कोशिश की जा रही है।
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पूर्व मुख्यमंत्री मायावती, फोटो-ANI |
●कहा- कार्यक्रम की सफलता से घबराई सरकार सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर थोप रही नई शर्तें
रिपोर्ट: Harvansh Patel, लखनऊ। बसपा सुप्रीमो व पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री मायावती ने कहा कि यूपी में बसपा के प्रबुद्ध वर्ग के विचार संगोष्ठी की सफलता को लेकर भाजपा सरकार घबराने लगी है। इस कार्यक्रम को रोकने के लिए सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग शुरू कर दी है। अब अनावश्यक अड़ंगेबाजी के लिए राजनीतिक षडयंत्र करने में जुट गई है। पार्टी इसकी निंदा करती है।
आज यहां एक 'न्यूज एजेंसी' से बातचीत में बसपा प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि मेरे निर्देशन में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा के नेतृत्व में बीएसपी द्वारा प्रबुद्ध वर्ग के सम्मान सुरक्षा व तरक्की आदि को लेकर उत्तर प्रदेश के जनपदों में विचार संगोष्ठी कार्यक्रम चलाया जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि इस कार्यक्रम के विरुद्ध भाजपा सरकार खुलकर सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर रही है। इस तरह की आड़ में राजनीतिक षड्यंत्र की बहुजन समाज पार्टी निंदा करती है।
उन्होंने आगे कहा कि भाजपा सरकार इस कार्यक्रम के आयोजन को लेकर अब नई शर्तें और पाबंदी थोपनी शुरू कर दी है। हमारे कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज हो रहे हैं। जातिगत द्वेष के चलते कार्यक्रम रोके जा रहे। हमारे कार्यकर्ताओं को डराने की कोशिश की जा रही है, जैसा बड़ा आरोप लगाया है।
बता दें कि पिछले 23 जुलाई को उत्तर प्रदेश के अयोध्या से प्रबुद्ध वर्ग विचार गोष्ठी का आयोजन शुरू किया गया था। इस कार्यक्रम में ब्राह्मण समाज के लोगों की बहुतायत संख्या में भागीदारी हुई थी, ज्यों- ज्यों कार्यक्रम बढ़ रहा है, ब्राह्मण समाज का बसपा के प्रति झुकाव बढ़ता जा रहा है। ब्राह्मण समाज ने यूपी में बसपा की सरकार बनाने की पहल शुरू कर दी है। इस कार्यक्रम को लेकर पहले तो विपक्षी दलों ने खूब बयानबाजी की, फिर इसकी सफलता के बाद भाजपा, सपा समेत अन्य विपक्षी दलों की नींद हराम हो गई है।
बसपा की बढ़ती ताकत से सभी राजनीतिक दल घबराये हुए हैं। भाजपा सरकार अब बसपा के इस मुहिम को रोकने के लिए सरकारी मशीनरी को आगे कर राजनीतिक षड्यंत्र करनी शुरू कर दी है, इसे उचित नहीं कहा जा सकता है।