सूबे के नियोजित शिक्षकों को साधन सम्पन्न बनाए सरकार: डॉ गणेश शंकर पांडेय

सूबे के नियोजित शिक्षकों को साधन सम्पन्न बनाए सरकार: डॉ गणेश शंकर पांडेय

 विद्यालयों में मिशन गुणवत्ता को ईमानदारी पूर्वक उतारने केलिए सूबे के नियोजित शिक्षकों को साधन सम्पन्न बनाए राज्य की सत्तासीन सुशासन सरकार। 

माध्यमिक/उच्च माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ गणेश शंकर पाण्डेय , फोटो: pnp


सासाराम (रोहतास)। विद्यालयों में मिशन गुणवत्ता को ईमानदारी पूर्वक उतारने केलिए सूबे के नियोजित शिक्षकों को साधन सम्पन्न बनाए राज्य की सत्तासीन सुशासन सरकार। 


उक्त बातें नवनियुक्त माध्यमिक/उच्च माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ गणेश शंकर पाण्डेय ने प्रेस वक्तव्य जारी कर कहा। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में सूबे के 80 प्रतिशत विद्यालयों का संचालन नियोजित शिक्षक पर्याप्त संसाधन के आभाव में भी कुशलतापूर्वक कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सूबे के अधिकांश  विद्यालयों में शिक्षकों एवं शिक्षकेतर कर्मियों का घोर आभाव है। 


विषयवार शिक्षकों के आभाव में छात्र  की पढ़ाई बाधित हो रही है।बाबजूद सरकार वर्षो से नियोजन में लगी हुई है। बहुतेरे विद्यालयों में नियोजित शिक्षकों को क्लर्क और आदेशपाल का कार्य स्वयं करना पड़ रहा है। बाबजूद सरकार  नियोजित शिक्षकों का चतुर्दिक शोषण कर उन्हें त्रस्त और परेशान कर रही है। 


माननीय मुख्यमंत्री की घोषणा के बाबजूद अप्रैल-2020 से नियोजित शिक्षकों के वेतन में 15% की वृद्धि नही हुई।  स्थानांतरण से लेकर नियोजित शिक्षकों के सभी मुद्दे को सरकार ने ठंडे वस्ते में डाल दिए। लेकिन शिक्षकों के लिए परीक्षा और विद्यालय निरीक्षण का फरमान जारी करने में सरकार  शिथिल नही होती है।इससे स्पष्ट होता है कि सरकार शिक्षकों को डरा -धमकाकर विद्यालयों में मिशन गुणवत्ता कायम करना चाहती है। ऐसी सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नही है। 


उन्होंने कहा कि यह पहली सरकार है। जिसने इतनी बार शिक्षक नियमावली को संशोधित कर नियमावली को ही विवादास्पद बना दिया है। बार बार नियमावली में परिवर्तन होने से सूबे के नियोजित शिक्षकों का परेशान होना स्वाभाविक  है। उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ नियोजित शिक्षकों को परेशान करने के लिए नियमावली में बार-बार संशोधन कर रही है,उन्हें लाभान्वित करने के लिए नही। सरकार के ऐसी नीति और नीयत से शिक्षा में सुधार होना असंभव है। 


उन्होंने कहा कि सरकार मंत्री, सासंद,विधायक, विधान  पार्षद की तरह शिक्षकों केलिए भी पेंशन की धोषणा करें सरकार। सिर्फ बीपीएससी से परीक्षा लेने की बात न करें। बीपीएससी की सारी सुविधाओं को भी बहाल करें। ताकि नियोजित शिक्षक तनाव मुक्त होकर निष्ठा और विश्वास के साथ अपने दायित्व का निर्वहन कर सके।