एक सहायक प्रोफेसर सह विभागाध्यक्ष भूगोल अखिलेंद्र नाथ तिवारी ने मीडिया कर्मियों सहित प्रभारी प्रधानाचार्य को गैर जिम्मेदाराना बयान और खबर न लिखने की दे डाली गई हिदायत।
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एसबीपी कालेज के सहायक प्रोफेसर, फोटो-pnp |
● मामला मीडिया कर्मियों की कॉलेज परिसर में बिना परमिशन प्रवेश का, सहायक प्रोफेसर के खिलाफ जांच टीम गठित
कैमूर। जिले का एक ऐसा शिक्षण संस्थान जहां एक सहायक प्रोफेसर सह विभागाध्यक्ष भूगोल अखिलेंद्र नाथ तिवारी ने मीडिया कर्मियों सहित प्रभारी प्रधानाचार्य को गैर जिम्मेदाराना बयान न देने और खबर न लिखने की हिदायत दे डाली ।
यहां तक कि बिना परमीशन कॉलेज परिसर में मिडिया कर्मियों के प्रवेश की जानकारी मांगा हैं तथा मीडिया कर्मियों के प्रवेश पर खुद प्रभारी प्रधानाचार्य से ईमेल के माध्यम से कहा कि मेरे क्लास के समय साक्षात्कार का कोई परमिशन दिया है, तो स्पष्ट करें ।
दरअसल मामला यह है कि इस विभागाध्यक्ष द्वारा एक ऐसे राइटर द्वारा प्रकाशित टैक्स बुक की मांग की जाती है, जो भभुआ शहर के किसी भी दुकानों पर उपलब्ध नहीं है और ना ही लाइब्रेरी में उपलब्ध है। जिनकी शिकायत मिलने पर मामले की तहकीकात एवं जानकारी लेने पहुंचे मीडिया कर्मियों से भूगोल विभाग के कक्ष में आराम से बातचीत होती है, फिर वे ई-मेल से प्रधानाचार्य को मीडिया कर्मियों के प्रवेश से संबंधित परमिशन की मांग की जाती है। जबकि उनके द्वारा बातचीत के रिकॉर्डिंग में स्पष्ट है कि क्लासरूम में अध्ययन के समय कोई बातचीत नहीं हुई है और ना ही उनके बिना इच्छा की कोई बातचीत की गई । फिर भी एक राजनीतिक व्यक्ति की तरह बयानबाजी करना और प्रभारी प्रधानाचार्य को गैर जिम्मेदार व्यक्ति बताना उक्त प्रोफेसर की कार्य शैली पर खुद प्रश्न वाचक चिन्ह खड़ा करता है।
उधर, दूरभाष पर पूछे जाने पर प्रभारी प्रधानाचार्य सीतारमण पांडेय सरदार बल्लभभाई पटेल महाविद्यालय ने बताया कि मैंने अब तक कोई गैर जिम्मेदाराना बयान नहीं दिया है और ना ही मीडिया कर्मियों के प्रवेश पर रोक लगाई है । ज्ञात हो कि पिछले दिनों उक्त सहायक प्रोफेसर द्वारा सरकारी भवन में एक राजनीतिक संगठन के मेलजोल में होकर बिना परमिशन अमृत महोत्सव कराने पर छात्र संगठनों ने आपत्ति दर्ज कराई थी। जिसके बाबत प्रभारी प्रधानाचार्य द्वारा उनके इस गैर जिम्मेदार रवैये के खिलाफ जांच भी गठित की गई है । जिसका रिपोर्ट आना अभी बाकी है । ऐसे में उक्त सहायक प्रोफेसर का बयान देना या मेल पर लिखना महाविद्यालय की शैक्षणिक व्यवस्था सहित आपसी सामंजस्य एवं सौहार्द बिगाड़ने की एक बड़ी रणनीति का खुलासा होता दिखता है ।
इस मामले में अब सबकी निगाहें विश्वविद्यालय वीर कुंवर सिंह आरा के वॉइस चांसलर की ओर टिकी है कि ऐसे गैर जिम्मेदार सहायक प्रोफेसर के खिलाफ कौन सी कार्रवाई की जाती है ।