चंदौली में उपजा की शिकायत पर आठ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज

चंदौली में उपजा की शिकायत पर आठ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज

शासन- प्रशासन को गुमराह करने के आरोपित आठ लोंगों के विरुद्ध पुलिस ने धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया है। 


Highlights: 

जिलाध्यक्ष दीपक सिंह का आरोप, उपजा के लेटर पैड का फर्जी तरीके से कर थे इस्तेमाल


● पिछले दिनों डीएम एसपी से मिला था पत्रकारों का प्रतिनिधिमंडल


●  सीओ सदर की जांच के आख्या पर मुकदमा दर्ज कर पुलिस 

चंदौली। यूपी जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (उपजा) के चंदौली जिला इकाई के फर्जी लेटर पैड का प्रयोग कर पत्रकारों, समाज तथा शासन- प्रशासन को गुमराह करने के आरोपित आठ लोंगों के विरुद्ध पुलिस ने धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस की इस कार्रवाई को लेकर जालसाजी में संलिप्त लोगों में हड़कंप मच गया। फिलहाल पुलिस आरोपितों के जल्द गिरफ्तारी करने की तैयारी में जुटी है।


हालांकि आरोपियों की बातें सच मानें तो यूपी में उपजा संगठन के तीन गुट हो चुकें। जिन्हें पुलिस जालसाज बता रही है वें स्वयं को दूसरे गुट के पत्रकार संगठन के सदस्य बता रहे हैं। इनका आरोप है कि पुलिस ने जांच में इस हकीकत को समझने की कोशिश नहीं की है।


उपजा जिला अध्यक्ष का शिकायती पत्र, फोटो-pnp

यहां मामला यह है कि उपजा जिला अध्यक्ष दीपक सिंह के नेतृत्व में पत्रकारों का एक दल पिछले 29 अगस्त को जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक से मिलकर पत्रक सौंपा। उनका आरोप था कि कुछ लोग हमारे संगठन का फर्जी लेटर पैड, प्रतीक चिन्ह (लोगो) एवं पंजीयन संख्या का प्रयोग कर जिले में उपजा के नाम व ख्याति का दुरुपयोग कर रहे हैं। इस मामले में डीएम ने एडीएम और एसपी ने सीओ सदर को जांच के आदेश दिए। 


आरोपियों द्वारा पेश किया गया साक्ष्य, फोटो-pnp

दोनों अधिकारियों की अलग अलग जांच में फर्जीवाड़े की पोल खुली तो सभी 8 आरोपितों के विरुद्ध चंदौली कोतवाली पुलिस ने धारा 419, 420, 467, 468, 471 आईपीसी के तहत नामजद मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्यवाही प्रचालित कर दिया। इन लोंगों में नंद मुरारी शंकर शरण पाठक, विवेक कुमार दुबे, रुद्र शंकर पाठक, नीरज कुमार चौबे, अभिषेक नारायण मिश्र, मनमोहन कुमार, आंनद उपाध्याय एवं शैलेन्द्र पांडेय के नाम शामिल बताए जा रहे हैं ।


 इस बाबत उपजा जिलाध्यक्ष दीपक सिंह ने बताया कि उपजा जिले की सबसे एवं अग्रणी पत्रकार संगठन है। इसके नाम व ख्याति को धूमिल करने का किसी को कोई अधिकार नहीं है। ऐसे लोगों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उम्मीद है पुलिस जांच में कई अन्य मामले भी सामने आ सकते हैं।