यह काला दिन परिवार के लिए 27 सितंबर को बन कर आया। जिसमें जवान धर्मेन्द्र सिंह उर्फ पप्पू सिंह जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में शहीद हो गई।
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शहीद के शव यात्रा में शामिल लोग, फोटो-pnp |
● शहीद के दो मासूम बेटे के सर उठा पिता का साया
● एकलौते चिराग के बुझने से पत्नी व वृद्ध पिता का अब सहारा कौन ?
बिक्रमगंज, रोहतास। कहते हैं ईश्वर भी किसी के साथ गजब खेल खेलाता है। वह किसी की नैया पार लगता है तो किसी की नैया बीच भवर में ही डुबो देता है। कुछ इसी तरह शहीद जवान धर्मेन्द्र सिंह के अब परिवार पर भारी मुसीबत का पहाड़ दुःख बनकर टूट पड़ा है।
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अब कौन बनेगा मेरा सहारा, फोटो-pnp |
यह काला दिन परिवार के लिए 27 सितंबर को बन कर आया। जिसमें जवान धर्मेन्द्र सिंह उर्फ पप्पू सिंह जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में शहीद हो गई। जिनके शहीद होते ही उनका पूरा परिवार सदमे के गम में डूब गया। अपने वृद्ध पिता का इकलौता घर का चिराग जलाने वाला सबको अंधेरे में छोड़ कर गया। अपने बेटे के शहीद की खबर सुन प्रलाइसिस के शिकार वृद्ध पिता आखिरी विदाई में भावुक होकर अपने बेटे की मौत के सदमे को झेलने पर विवश थे।
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सब कुछ लूट गया मेरा, रोते बिलखते परिजन, फोटो-pnp |
लेकिन अब उस वृद्ध पिता का अब सराहा कौन बनेगा? उनको हर खुशी देने वाले सपने कौन दिखायेगा। जबकि दूसरी तरफ शहीद जवान की पत्नी गुड़िया देवी अपने दो मासूम बेटे आर्यन और तेज प्रताप की जिंदगी कैसे सवारेगी ? ये सब बातें एक सपना बन कर रह गया। अपने पति के खोने के गम में गुड़िया ने भी अपना सूझ-बुझ खो दिया है। वह एक बात की रट लगाये बैठी है कि हमने कौन सी ऐसी गलती की थी जिसकी इतनी बड़ी सजा भगवान ने पूरे परिवार को दिया।
वह बार बार रोते हुए अपने शहीद पति जिंदा होने एक झलक पाने के लिए व्याकुल है। जो कि उसके लिए यह एक कल्पना बन कर रह गई है। इस दुःख की घड़ी में लोग शहीद के परिवार को ढांढस दिलाने में जुटे हैं।