मोदी सरकार द्वारा लाए कृषि सम्बंधित बिल के खिलाफ चकिया में किसान 27 सितम्बर को सड़क पर उतर कर विरोध जताएंगे।
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फाइल फोटो, pnp |
● किसान संगठनों के 27 सितंबर के प्रतिरोध को सफल बनाने को ले माकपा ने की बैठक
● चकिया में भी किसान संगठन सड़क पर उतर कर जताएंग विरोध
चकिया, चन्दौली। खेती व खाद्य सुरक्षा में कारपोरेट की गुलामी किसानों को बर्दाश्त नहीं हैं और मोदी सरकार द्वारा लाए कृषि सम्बंधित बिल के खिलाफ चकिया में किसान सड़क पर उतर कर विरोध करेंगे।
उक्त निर्णय चकिया में माकपा कार्यालय में सम्पन्न हुई बैठक में कहा लिया गया। बैठक में किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार द्वारा क़ानूनों को रौंद कर देश की खेती को गिरवी रखने के लिये सभी संसदीय प्रक्रियाओं और कायदे क़ानूनों को हवा में उड़ाने की कारगुजारियों से बाज नहीं आ रही है। बैठक में इसकी कड़े शब्दों में निन्दा करते हुए चेतावनी दी गई कि यदि दमन कर या किसानों के आंदोलन को बदनाम कर भाजपा सोचती है कि वह विपक्ष का मुंह बंद कर देगी, तो वह दिन में सपने देख रही है।
बैठक में वक्ताओं ने कहा कि देश की जनता ने अनेक संघर्षों से लोकतन्त्र को परवान चढ़ाया है और वे भाजपा की इस शातिराना कोशिश को बर्दाश्त नहीं करेगी। भारतीय संसद, भारत के संविधान और हमारे धर्मनिरपेक्ष लोकतान्त्रिक गणतन्त्र की रक्षा के संकल्प को दोहराती हैं। आम लोगों का आह्वान करते हैं कि वे हमारे संवैधानिक गणराज्य पर हो रहे संगीन हमलों के विरुद्ध विरोध प्रकट करने को आगे आयें।
कृषि कानूनों के संबंध में किसान नेताओं ने कहा कि सरकार द्वारा थोपे गये ये कानून देश की खेती और हमारे किसानों को बर्बाद कर देंगे। सारे कृषि क्षेत्र को कृषि-विपणक कारपोरेट्स को हस्तांतरित करने से न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली पूरी तरह खत्म हो जायेगी, सार्वजनिक वितरण प्रणाली संपूर्णतः विनष्ट हो जायेगी, बेशर्म कालाबाजारियों और विशालकाय कारपोरेट्स को खाद्यान्नों और खाद्य पदार्थों की जमाखोरी की खुली छूट मिल जायेगी, जिससे वे खाद्य पदार्थों की बनावटी किल्लत पैदा कर सकेंगे और कीमतों को मनमाने तरीके से बढ़ा सकेंगे। ये कानून भारत की खाद्य सुरक्षा को गंभीर खतरे में डाल देंगे। निश्चय ही यह विश्व व्यापार संगठनों के आदेशों और उरुग्वे वार्ताओं की प्रतिपूर्ति का संघी संस्करण है।
वामपंथी दलों ने कहा कि समय से पहले एमएसपी घोषित करने की सरकार की कवायद किसानों में उपजे आक्रोश को ठंडा करने की कोशिश है और उन्हें भ्रम में डालने वाली है। अपने कुकृत्यों से किसानों और युवाओं के बीच पूरी तरह बेनकाव मोदी सरकार अब विपक्ष पर उन्हें भड़काने का आरोप लगा रही है।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार आंदोलित किसानों और नौजवानों पर जिस बहशियाना ढंग से हमलावर है वामदल उसकी कड़े शब्दों में निन्दा करते हैं।
इन क़ानूनों को वापस लेने के लिये 'अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वयन समिति' द्वारा 27 सितंबर को प्रतिरोध के लिए भारत बंद के प्रति पूर्ण समर्थन और एकजुटता प्रदर्शित करेंगी।
बैठक में माकपा जिला सचिव राम अचल यादव, भाकपा के शुकदेव मिश्रा, आईपीएफ के अजय राय, अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष परमानन्द कुशवाहा, लालचंद यादव, किसान महासभा के नेता शिवनारायण बिन्दु,जनवादी महिला समिति की लालमनी विश्वकर्मा, सीआईटीयू के राम प्यारे, खेत मजदूर यूनियन के शिवमुरत राम, जय प्रकाश विश्वकर्मा, जय नाथ, धर्म सिह, नंदलाल राम, जनवादी नौजवान सभा के नेता, मजदूर किसान मंच के नेता सहित भाकपा माले नेता व उनका किसान मजदूर संगठन भी इस आंदोलन में शिरकत करेंगे।