पुत्र की लंबी उम्र व संतान प्राप्ति की कामना लिए महिलाओं ने जियुत पुत्रिका व्रत रखा।
लखनऊ। पुत्र की लंबी उम्र व संतान प्राप्ति की कामना लिए महिलाओं ने जियुत पुत्रिका व्रत रखा। निर्जला के साथ व्रत रखते हुए व्रती महिलाएं शाम को स्नान कर जीवित्पुत्रिका या जितिया माता की पूजा की। वहीं राजा गोवर्धन व गरुण पक्षी की कथा को सुनी।
जगह-जगह गांव, बाजार व शहरों में स्थित सरोवर व नदी के किनारे व्रती महिलाओं की काफी भीड़ जुटी हुई थी। जहां स्नान करने के बाद जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत माता की पूजा की गई।
इस व्रत को देखते हुए एक दिन पहले ही महिलाओं ने फल व अन्य पूजा सामग्री की खरीददारी कर ली थीं। वाराणासी में कई जगह मेले का भी आयोजन किया गया।
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अयोध्या में पूजा करतीं व्रती महिलाएं, फोटो-pnp |
Jivitputrika Vrat 2021: जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत में किसकी कथा सुनती हैं व्रती महिलाएं?
हिन्दू धर्म में पुत्र की लंबी कामना के लिए महिलाएं निर्जल रहकर जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत का पालन करती हैं। इस व्रत में राजा गोवर्धन कुमार व गरुण पक्षी की कथा सुनने के बात उनका व्रत पूर्ण होता है।
व्रत कथा राजा गोवर्धन कुमार व गरुण राज पक्षी की कथा सुनी जाती है ।
यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।
व्रत कथा की कहानी व महात्म्य यह है कि जब राजा गोवर्धन को उनके पिता ने राज सिंहासन सौंप दिया मगर वे उसे अपने भाइयों को राज सिंहासन सौंप सब मोह माया त्याग कर जंगल में चल दिए।
जंगल में चलते-चलते दर-दर भटकते हुए उन्होंने एक नाग कन्या को रोते हुए देखा तो उसके पास जाकर बड़ी ही नम्रता से पूछा- हे माता आप क्यों रो रही हो। तो उस नाग कन्या ने बताया की एक गरुड़ राज पक्षी हैं जो प्रतिदिन हमारे बच्चों को अपना निवाला बनाते हैं, इसीलिए मैं रो रही हूं। आज मेरे बेटे का निवाला बनाने का दिन है। तभी राजा ने उनको ढांढस बंधाते हुए बोला कि आप रोइये मत उसका शिकार मैं बनूंगा। नाग माता को कहा की हे माता आज तुम्हारे बेटे की जगह मैं उस गरुड़ राज का शिकार व निवाला बनने को तैयार हूं। आप शांत हो जाइये और राजा ने लाल वस्त्र पहनकर गरुड़ राज के आते ही सामने आ गए। जब गरुड़ राज ने उनको उठा कर ले जा रहे थे तो उनके अंदर कोई हलचल ना होने पर गरुड़ राज ने उनसे पूछा कि आप बताएं, मैं आपको निवाला बनाने के लिए ले जा रहा हूं और आप थोड़ा भी विचलित नहीं है। इसका राज क्या है ?
राजा ने कहा- हे गरुड़ राज आपके भय और हरकत से सारी नागकन्या अपने बेटे के लिए रो रही है। आप ऐसा क्यों करते हैं ? इनकी बातें सुनकर गरुड़ राज का दिल पसीज गया और वह बोले कि अब आज के बाद मैं कोई किसी भी नागकन्या के बच्चे का निवाला नहीं बनाऊंगा और उनको आशीर्वाद भी दिया।
आज से जितनी भी मां अपने बच्चे का जीवित व्रत रखेंगी, उसका पुत्र दीर्घायु रहेगा और तभी से जितिया पुत्र का व्रत कथा शुरू जो गई।
घर, हर गांव और शहर में बड़ी धूमधाम से श्रद्धा पूर्वक मनाया जाता है। इसमें महिलाएं अपने पुत्र की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को पूजा करती हैं। पूजा में फल, फूल, नये वस्त्र ,चना, गूढ़ धूप, दीप इत्यादि सामाग्री रख कर एक दूसरे की महिलाओं के द्वारा कहानी सुना कर पूजा अर्चना करती है। इस तरह महिलाओं व्रत पूर्ण होता है।
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