सुहागिन महिलाओं ने हरितालिका व़त का अनुष्ठान कर विधिवत पूजा अर्चना की। 24 घंटे का उपवास के दौरान पार्वती शिव सहित गौरी गणेश का प्रतिमा निर्मित कर पूजा की।
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व्रत कथा सुनती व्रती महिलाएं, फोटो-pnp |
इसी कामना को लेकर गुरुवार को सुहागिन महिलाओं ने हरितालिका व़त का अनुष्ठान कर विधिवत पूजा अर्चना की. 24 घंटे का उपवास के दौरान महिलाओं ने बालूकामयी पार्वती शिव सहित गौरी गणेश का प्रतिमा निर्मित कर पूजा की।
इस व्रत को हरतालिका इसलिए कहते हैं कि पार्वती की सखी उन्हें पिता प्रदेश में हर कर घनघोर जंगल में ले गई थी इसे सभी कुंवारी ज्योति या तथा स्वभाव वती महिलाएं ही करती हैं इस संबंध में पुरानी शास्त्रों में इस बढ़त को संधवा विधवा सब को आज्ञा दी गई है।
उन्होंने पूजा के दौरान बेलपत्र, शमी, पत्र, धतूरा, फल फूल, चंदन, सुहाग, सामग्री सहित वस्त्र अर्पण कर धूप - दीप के साथ पूजा अर्चना किया. पौराणिक शास्त्रों में इस पर्व को सभी महिलाओं को करने का आज्ञा दी गई है, इसलिए अधिकांश महिलाएं इस व्रत को करते आ रहे हैं।
इस व़त को हरतालिका इसलिए कहते हैं कि पार्वती की सखी उन्हें हर कर जंगल में ले गई थी। इस संदर्भ में आचार्य बद्री विशाल पाण्डेय कहते हैं कि हरतालिका तीज का व्रत करने वाली महिलाओं का सौभाग्य के साथ मनोवांछित फल की प्राप्ति होता है।
इस व्रत को न्यू गंगौली स्थित शिव मंदिर के प्रांगण में, सब्जी मार्केट स्थित हनुमान मंदिर के प्रांगण में, रतु बिगहा स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर के प्रांगण सहित अन्य स्थानों में काफी संख्या में श्रद्धालु महिलाओं का भीड़ पूजा अर्चना करते देखा गया। प्रदोष काल यानी दिन रात के मिलने का समय संध्या के समय स्नान करके शुद्ध और उज्जवल वस्त्र धारण कर विधि विधान से महिलाओं ने पूजा अर्चना की।