कथक के सरताज नहीं रहे, प्रसिद्ध कथक पद्मभूषण बिरजू महाराज का निधन, 83 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

कथक के सरताज नहीं रहे, प्रसिद्ध कथक पद्मभूषण बिरजू महाराज का निधन, 83 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

प्रसिद्ध कथक के सरताज नर्तक पंडित बिरजू महाराज ने 83 साल की उम्र में दिल्ली के साकेत हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली|
श्रद्धांजलि, नहीं रहे कथक के सरताज, फोटो:ट्विटर

नई दिल्ली/लखनऊ। प्रसिद्ध कथक के सरताज नर्तक पंडित बिरजू महाराज हार्टअटैक होने से 83 साल की उम्र में दिल्ली के साकेत हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली|  सबसे पहले उनके पोते स्वरांश मिश्रा ने सोशल मीडिया पोस्ट में उनकी नहीं रहने की जानकारी दी। इसके बाद सोशल मीडिया पर कत्थक के सरताज को शोक व्यक्त करने वालों का तांता लग गया\

फोटो-ट्वीटर

पीएम मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि कथक के सरताज बिरजू महाराज के आकस्मिक निधन पर दुःखी हूं।  ट्वीटर कर लिखा -
"भारतीय नृत्य कला को विश्वभर में विशिष्ट पहचान दिलाने वाले पंडित बिरजू महाराज जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनका जाना संपूर्ण कला जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति!"

श्रद्धांजलि देते हुए शालिनी अवस्थी ने लिखा-"आज भारतीय संगीत की लय थम गई' 

वहीं गायिका शालिनी अवस्थी ने सोशल नेटवर्क पर पोस्ट कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। शालिनी अवस्थी ने लिखा-"आज भारतीय संगीत की लय थम गई। सूर मौन हो गया। भाव सुन्न हो गया। कत्थक के सरताज पंडित बिरजू महाराज नहीं रहे। लखनऊ की ड्योढ़ी आज सुनी हो गई। कालिका बिंदादीन की गौरवशाली परंपरा की सुगंध विश्व भर में प्रसारित करने वाले महाराज जी अनंत में विलीन हो गए। आह! यह अपूरणीय क्षति है। ओम शांति।" 

लखनऊ घराने से ताल्लुकात रखते थे बिरजू महाराजा

बता दें कि लखनऊ घराने के ताल्लुक रखने वाले बिरजू महाराज का 4 फरवरी 1938 को लखनऊ में जन्मे थे, इनका असली नाम पंडित बृज मोहन मिश्र था।  यह एक कथक नर्तक होने के साथ शास्त्री गायक भी रहे। इनके पिता व गुरु अच्छन महाराज और चाचा शंभू महाराज व लच्छू महाराज ने प्रसिद्ध कथक नर्तक थे। 

 बिरजू महाराज 1983 में पदम विभूषण से हुए थे सम्मानित 

बिरजू महाराज को 1983 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।  इनके साथ उन्हें संगीत नाटक अकादमी व कालिदास सम्मान भी मिला है। उन्हें बीएचयू व खैरागढ़ विश्वविद्यालय ने डॉक्टरेट की उपाधि दी थी। 

कोरियोग्राफी के लिए मिला था फ़िल्म पुरस्कार 

वर्ष 2012 में विश्व रूपम फिल्म में कोरियोग्राफी के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 2016 में बाजीराव मस्ताना के 'मोहे रंग दो लाल' गाने के लिए उन्हें कोरियोग्राफी पुरस्कार मिला था। बिरजू महाराज ने देवदास, डेढ़ इश्किया, उमराव जान, बाजीराव मस्तानी जैसे फिल्मों के लिए डांस कोरियोग्राफी किया था। सत्यजीत राय की फिल्म 'शतरंज के खिलाड़ी' के लिए म्यूजिक भी दिया था।

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