एआईपीएफ के राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय ने अधिशासी अभियंता सिचाई विभाग से मिलकर किसानों के सवालों पर ध्यान आकृष्ट कराया है।
कैसे हो खेतों की सिंचाई, फोटो-PNP |
चन्दौली चकिया। जनपद में नहर माइनर सफाई के नाम पर खानापूर्ति हो रही है। किसानों के बीच चर्चा हैं कि जनप्रतिनिधि भी कमीशन खा रहें, है। उक्त बातें अधिशासी अभियंता सिचाई विभाग से मिलने के बाद एआईपीएफ के राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय ने कहा कि जहाँ सरकार द्वारा मिलने वाला धन अपर्याप्त है। वहां कोढ़ में खाज की तरह कमीशन खोरी किसानों की सिचाई समस्या को हल करने की जगह और बढ़ा दे रही है।
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लगभग सभी विधायकों के बारे में जो रपट मिली हैं, वे दस प्रतिशत उनका कमीशन माइनर की घास हटाने में था वहीं एक विधायक के क्षेत्र में दूसरे विधायक का हस्तक्षेप न हो इस पर आपसी समझौता होनी की भी रपट है। उन्होंने कहा कि चकिया के शिकार गंज में बंधी की बहुतायत हैं, लेकिन वहाँ के फसल पानी के अभाव में सुख रहें हैं। मछली ठेका बंधी का होने से बेसमय पानी बहा दिया जाता है, ठेका रद्द होने की मांग किसान लगातार उठा रहें हैं! इन बंधी की मरम्मत कराने के प्रति सिचाई विभाग लापरवाह हैं.
भैसौड़ा बंधे का गेट तोड़ कर मछली ठेकेदार पानी बहा रहें हैं! भैसौड़ा बंधे के अन्दर किसानों को मिले जमीन का पट्टे की मियाद खत्म होने के बाद भी अवैध विभाग के पुराने जिलेदार से मिलीभगत कर बाहरी कब्जा कर लिया उसके कारण उक्त जमीन पर लम्बे समय से स्थानीय किसान खेती कर रहें हैं! मछली ठेका लेने वाले का पट्टे तीन साल हैं लेकिन तीन को खुरचकर पांच कर दिया गया हैं यह भी जांच होना चाहिए कि यह सही हैं या गलत।
किसानों के खेतों में सिचाई के समय सिचाई विभाग के उच्च अधिकरियों को क्षेत्रों में रहकर किसानों के सिचाई सवालों को हल करना चाहिए! उन्होंने कई बंधी की मछली ठेका को लेकर जनसूचना के तहत ठेका का समय सीमा, ठेकेदार का नाम व उसका टर्म और कंडीशन के बारे में जानकारी मांगा गया हैं!
किसानों की तरफ से नौगढ़ व चकिया के चोबिसहा और शिकारगंज के किसानों के सवालों को भी उठाया गया है और पुरे जनपद में हेड से टेल तक के किसानों के खेतों में पानी पहुचाने की सिचाई विभाग गारंटी करें यह भी सवाल उठाया गया चंदौली में लघु डाल नहर, सिंचाई प्रखंड, मूसाखांड और चंद्रप्रभा प्रखंड के अंतर्गत आने वाली नहरों का जाल बिछा हुआ है। इसके बाद भी खेती योग्य भूमि की थाती पानी से सिंचित नहीं हो पाती। विभागीय अधिकारी और जनप्रतिनिधि बैठकें कर कागजी कार्रवाई पूर्ण कर लेते हैं, लेकिन धरातल पर सब कुछ टांय-टांय फिस्स ही रहता है .