आईपीएफ व मजदूर किसान मंच ने जांच रपट जारी करते हुए विधायकों पर जन सवालों की अनदेखी व कमीशनखोरी में लिप्त रहने के आरोप लगाए हैं |
अजय राय, फोटो-PNP |
● सरकारी कोल्ड स्टोरेज खोलने व कुटीर उद्योग पर किसी जनप्रतिनिधि ने नहीं दिया ध्यान
● जनपद के नौजवानों के रोजगार दिलाने के लिए विधानसभा में कभी न उठाई गई आवाज
● पांच साल तक जनता की गाड़ी कमाई के लूट का कारोबार करते रहे जनप्रतिधि, कैसे जनता दें इनको वोट
चन्दौली, चकिया। कहते हैं कि उत्तर प्रदेश की सरकार गरीबों के हितों के लिए गाँवो के विकास के लिए बिभिन्न योजनाएं चलायी हैं जिससे गाँव का बहुत विकास हुआ है और योजनाओ का लाभ गरिबों को मिल रहा है लेकिन सच्चाई है कि जहाँ इस सरकार की योजना ज्यादातर कागज तक सिमटी रही वही कुछ विकास योजनाओं का क्रियान्वयन हुआ तो उसमें जमकर भ्रष्टाचार हुआ है।
शौचालय,आवास से लेकर मनरेगा, सिचाई विभाग द्वारा नहर माइनर की सफाई तक की योजनाओं में जमकर जनप्रतिनिधि व विभागीय अधिकारी अपने भी खाओं व हमें भी खूब खिलाओं पर अमल किए है। सभी जनप्रतिनिधियों के साथ ही भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर योगी की सरकार अंकुश लगाने में असफल रहे है।
उक्त आरोप आईपीएफ के राज्य कमेटी नेता व मजदूर किसान मंच के संगठन प्रभारी अजय राय ने चन्दौली जनपद के विधायको के द्वारा क्षेत्र में की गयी विकास योजनाओं की जमीनी जानकारी लेने के बाद लगाया।
उन्होंने कहा कि एक,एक काम पर कई विभाग से फर्जी भुगतान कराया गया है। विधायक निधि देने में जमकर कमीशन खोरी हुयी है। किसान से लेकर मजदूरों तक की मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहें है।
हर विधानसभा के हर विधायक चाहें सत्ता पक्ष के रहें है या विपक्ष के सभी ने अपना अपना कमीशन हर विभाग में तय कर रखा था। सिचाई विभाग का ही उदाहरण ले ले यहाँ तो खुलेआम यह काम हुआ है। स्कूलों में तो अपने निधि देने में आधा - आधा का बंटवारा हुआ था। कई जगह पर सड़कों के निर्माण में कमीशन खोरी हुआ, जिसका परिणाम हैं कि सड़क निर्माण में घटिया सामग्री का प्रयोग हुआ है। विधायक जनता की समस्या को सुनने व विधानसभा में उठाने में पूरी तरह असफल रहें हैं।
नतीजा है शिकारगंज में कई बंधीं होने के बाद भी फसल पानी के अभाव में सूख जाता हैं। पूरी जनपद में कोई कुटीर उघोग, सरकारी कोल्ड स्टोरेज नहीं हैं। कोई भी विधायक इन सवालों को उठाने में रूचि न दिखाई है। मात्र जनपद के छ: प्रतिशत किसानों की धान खरीद सरकारी द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर होता है। अभी भी कई गाँव में गर्मी के समय में टैंकर से पानी दिया जाता हैं ।
वनाधिकार व मनरेगा कानून लागू कराने में कोई रूचि न दिखाई हैं। कृषि विभाग द्वारा किसानों को कृषि यंत्र खरीद में मिलने वाली छूट भी भ्रष्टाचार का भेट चढ़ गया । सहकारी खेती को बढ़ावा देकर किसानों का विकास, न्याय पंचायत स्तर पर किसानों की फसलों की खरीद की व्यवस्था कराने पर जोर देना किसी विधायक के एजेंडा में नहीं रहा।
क्रमशः विधायक की जमीनी कामकाज की रपट जारी होती रहेंगी, जिले में तीन भाजपा के एक सपा के विधायक हैं ।